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जनजातीय विकास को नई गति: तेंदूपत्ता का दाम बढ़ा, योजनाओं का विस्तार तेज

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि अध्यक्ष के रूप में सलाम को अत्यंत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिसे वे अपनी संवेदनशीलता, अनुभव और दक्षता के साथ बेहतरीन तरीके से निभाएंगे। उन्होंने बताया कि सलाम स्वयं जनजातीय समुदाय से आते हैं और समुदाय की उम्मीदों, चुनौतियों और आवश्यकताओं को गहराई से समझते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनवासियों की आय बढ़ाने और उनके समग्र विकास के लिए राज्य सरकार लगातार काम कर रही है।

उन्होंने याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जनजातीय समाज के उत्थान को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया था। साथ ही केंद्र में अलग जनजातीय मंत्रालय की स्थापना ने समुदाय के विकास की रफ्तार बढ़ाई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए ‘धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना’ और ‘पीएम जनमन योजना’ लागू की, जिनसे जनजातीय क्षेत्रों में उल्लेखनीय परिवर्तन दिखाई दे रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में तेंदूपत्ता संग्राहकों को देश में सबसे अधिक मूल्य दिया जा रहा है। वनोपजों के वैल्यू एडिशन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, ताकि वनवासियों की आय बढ़े और उन्हें वास्तविक आर्थिक मजबूती मिल सके।

वनमंत्री केदार कश्यप ने कहा कि यह प्रदेश का सौभाग्य है कि छत्तीसगढ़ के मुखिया विष्णुदेव साय खुद जनजातीय समुदाय से आते हैं और वनवासी भाइयों-बहनों की पीड़ा और आकांक्षाओं को नजदीक से समझते हैं। उन्होंने बताया कि राज्य की 32% आबादी जनजातीय है और 44% क्षेत्र वनाच्छादित है, इसलिए वनोपज ही आजीविका का प्रमुख आधार है। तेंदूपत्ता को ‘हरा सोना’ कहा जाता है और इसके अनुरूप मूल्य देने का निर्णय लेते हुए इसे 4,000 रुपये से बढ़ाकर 5,500 रुपये प्रति मानक बोरा कर दिया गया है, जो देश में पहली मिसाल है।

उन्होंने आगे कहा कि चरण पादुका योजना को पुनः शुरू करने के साथ-साथ वनोपज संग्राहक परिवारों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।

कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, नान चेयरमैन संजय श्रीवास्तव, योग आयोग अध्यक्ष रूप नारायण सिन्हा, आदिवासी स्वास्थ्य परंपरा बोर्ड अध्यक्ष विकास मरकाम, वक्फ बोर्ड चेयरमैन डॉ. सलीम राज, वनबल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव सहित बड़ी संख्या में वनोपज संग्राहक मौजूद रहे।

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