रायपुर में फेल हुआ ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ अभियान!

रायपुर। राजधानी में सड़क सुरक्षा को लेकर शुरू की गई मुहिम का पहले ही दिन दम टूट गया। 1 सितंबर से छत्तीसगढ़ पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन ने सख्त ऐलान किया था – “बिना हेलमेट नहीं मिलेगा पेट्रोल”, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
शहर के प्रमुख पेट्रोल पंपों पर रियल्टी चेक किया गया, जिसमें सामने आया कि अधिकतर स्थानों पर नियम सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया है। जयस्तंभ चौक, शहीद स्मारक और घड़ी चौक जैसे व्यस्त इलाकों में बिना हेलमेट वाले लोगों को बेरोक-टोक पेट्रोल दिया जा रहा है।
कुछ पंपों पर तो जुगाड़ की भी दुकान खुल गई है – लोग एक-दूसरे से हेलमेट मांगकर बस पेट्रोल भरवा रहे हैं, और फिर अगला ग्राहक वही हेलमेट पहनकर लाइन में लग जाता है। पेट्रोल पंप के कर्मचारी भी आंख मूंदे बैठे हैं, जैसे उन्हें निर्देशों की कोई परवाह नहीं।
नियम तोड़ा, लेकिन कार्रवाई नहीं
एसोसिएशन ने साफ कहा था – बिना हेलमेट पेट्रोल नहीं मिलेगा, और यदि कोई विवाद करता है तो पंप संचालक सीधे 112 नंबर पर पुलिस को सूचना दें। प्रशासन ने भी चेतावनी दी थी कि नियम तोड़ने पर कड़ी कार्रवाई होगी। लेकिन हालात देखकर लग रहा है कि न कोई शिकायत कर रहा, न कोई कार्रवाई हो रही।
कड़े आंकड़े, कमजोर इरादे
पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, रायपुर में पिछले 7 महीनों में 214 लोगों की मौत सिर्फ हेलमेट न पहनने की वजह से हुई है। वहीं 150 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए। इसी तरह, सीट बेल्ट न लगाने के कारण भी 20 से अधिक मौतें हुईं — जिनमें ज्यादातर कार चालक थे।
सवाल अब यह है – नियम बनते किसके लिए हैं?
जब पेट्रोल पंपों पर ही नियमों का पालन नहीं होगा, तो आम जनता से क्या उम्मीद की जाए? क्या ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ सिर्फ एक दिखावटी ऐलान था? या फिर सिस्टम में कहीं न कहीं ढील बाकी है?
फैसला अब प्रशासन और आम जनता को लेना है — जान की कीमत हेलमेट से ज्यादा है या कुछ लीटर पेट्रोल से?