देशधर्म

कुंभ 2019 : संगम तट पर तक 1 करोड़ 26 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

  • सूर्य 14 जनवरी की रात में 2.19 बजे मकर राशि में प्रवेश कर गए हैं। सूर्य देव के राशि परिवर्तन के साथ ही मंगलवार, 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व शुरू हो गया है। संगम किनारे जमे श्रद्धालुओं ने 12 बजे रात के बाद से ही स्नान शुरू कर दिया और इसी के साथ आस्था के महाकुंभ का आगाज हो गया। अमर उजाला आप तक शाही स्नान की पूरी जानकारी लगातार अपडेट करता रहेगा…
  • मेला प्रशासन के मुताबिक शाम 6 बजे तक एक करोड़ 26 लाख श्रद्धालुओं ने संगम तट पर डुबकी लगाई है।
  • मकर संक्रांति के प्रथम स्नान महापर्व पर मंगलवार को गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर देश-दुनिया के हर कोने से आस्था का जनसैलाव उमड़ पड़ा। प्रयागराज की सड़कें चहुंदिश श्रद्धा पथ में तब्दील हो गईं। देश-दुनिया भर से संतों, श्रद्धालुओं, पर्यटकों का सागर उमड़ा तो 5.50 किमी लंबे संगम तट पर कहीं तिल रखने भर की जगह नहीं बची। हर हर महादेव के गगनभेदी जयघोष के बीच कोई हांथों में ध्वज लिए संगम की ओर दौड़ता रहा तो कोई दंड-कमंडल, मनका लिए हुए लपकते पांवों से बढ़ता रहा। मेला प्रशासन के कंट्रोल रूम के अनुसार शाम पांच बजे तक 1.21 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई। इसी के साथ विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक-धार्मिक समागम के रूप में दिव्य, भव्य और सुरक्षित कुंभ का आगाज हो गया।
  • बैरागियों के अखाड़े, निर्मोही अनी, दिगंबर अनी और निवार्णी अनी के संतों ने अपने देवता और निशान के साथ संगम में डुबकी लगाई। बैरागी अखाड़े स्नान पूरा कर अपने शिविर की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। वहीं श्रद्धालुओं के उपर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कराई जा रही है।
  • शैव अखाड़ों के बाद बैरागियों के अखाड़े, निर्मोही अनी, दिगंबर अनी और निवार्णी अनी अपने देवता और निशान के साथ संगम में स्नान को पहुंचे।
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  • मकर संक्रांति पर्व पर प्रयागराज कुंभ के पहले शाही स्नान में जूना अखाड़े के साथ किन्नर अखाड़े ने भी डुबकी लगाई। बता दें कि जूना और किन्नर अखाड़े का विलय चर्चा का विषय बनी हुई थी। तब किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने विलय की बात से इंकार करते हुए कहा था कि, साथ चलेंगे, साथ रहेंगे लेकिन विलय नहीं करेंगे। आज जूना के साथ किन्नर अखाड़े ने डुबकी लगाकर एक साथ होने का प्रमाण दे दिया।
  • अखाड़ों के संतों के शाही स्नान के बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार तड़के संगम में डुबकी लगाई
  • अब शाही स्नान के लिए सबसे बड़ा अखाड़ा श्री पंच दशनाम जूना के संत, आचार्य और महामंडलेश्वर रथों, बग्गियों और गाड़ियों में सवार होकर संगम तट पहुंच रहे हैं। जूना के साथ पहली बार किन्नर अखाड़ा के भी संत शाही स्नान में शामिल होने के लिए साथ चल रहे हैं। कुछ दिन पहले जूना और किन्नर अखाड़े के विलय को लेकर चर्चा तेज हुई थी। तब किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने विलय की बात से इंकार करते हुए कहा था कि, साथ चलेंगे, साथ रहेंगे लेकिन विलय नहीं करेंगे।  वहीं अग्नि और अवाहान अखाड़े के संत भी संगम तट की ओर बढ़ रहे हैं।
  • श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा और तोपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़े के संतों का स्नान पूरा हो चुका है। दोनों आखाड़ों के संत अपने शिविर की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। वहीं अब शाही स्नान के लिए सबसे बड़ा अखाड़ा श्री पंच दशनाम जूना के साथ अग्नि अखाड़ा और अवाहान अखाड़े के संत संगम तट पर पहुंचने वाले हैं।
  • श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा और तोपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़े के संत मकर संक्रांति पर पहले शाही स्नान की डुबकी लगाने के लिए अपने आचार्य, महामंडलेश्वर और ईष्ट देव के साथ संगम तट पर पहुंच चुके हैं।
  • श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के बाद अटल अखाड़े के संतों ने शाही स्नान किया। दोनों अखाड़ों का स्नान पूरा हो चुका है। दोनों अखाड़ों के संत अपने शिविर की ओर प्रस्थान कर रहे हैं।
  • मकर संक्रांति पर मंगलवार को पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने सबसे पहले डुबकी लगाई। परंपरा के मुताबिक सबसे पहले अखाड़े के भालादेव ने स्नान किया। उसके बाद नागा साधुओं ने फिर आचार्य महामंडलेश्वर और साधु-संतों ने स्नान किया।
  • और तय समय के मुताबिक पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के संतों ने सबसे पहले संगम तट पर डुबकी लगाई…
  • महानिर्वाणी अखाड़े के बाद श्री पंचायती अटल अखाड़े के संत, आचार्य और महामंडलेश्वर संगम तट पर शाही अंदाज में पहुंचे।
  • शाही स्नान के लिए सबसे पहले संगम तट पर श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी का जुलूस पहुंच चुका है। अखाड़े के देव भगवान कपिल देव तथा नागा संन्यासियों ने अखाड़े की अगुवाई की।
  • शाही स्नान के लिए संन्यासी के अखाड़े निकल चुके हैं। पहले स्नान के लिए महानिर्वाणी अखाड़े के संत, अचार्य और महामंडलेश्वर शाही अंदाज में रथों पर विराजमान होकर संगम तट की ओर बढ़ रहे हैं। इनके साथ चल रहा नागा साधुओं का कारवां लोगों की आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
  • आज यानि मंगलवार को ही पहला शाही स्नान है। सभी तेरह अखाड़ों को तीन वर्गों में बांटा गया है। सन्यासी, बैरागी और उदासीन। सबसे पहले सन्यासी अखाड़े के संत शाही स्नान करेंगे, इसके बाद बैरागी और अंत में उदासीन के अंतर्गत आने वाले संत शाही स्नान करेंगे।
  • सन्यासी अखाड़ों के संन्यासियों के शाही स्नान की शुरुआत सुबह 6.15 बजे शुरू होगी। सबसे पहले श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री पंचायती अटल अखाड़ा के संत स्नान के लिए अपने अखाड़े से 5.15 बजे प्रस्थान करेंगे। इन अखाड़ों के संन्यासियों को 6.15 बजे शाही घाट पहुंचना होगा। 40 मिनट के भीतर स्नान करके संन्यासियों को 6.55 बजे लौटना होगा। इसके बाद 7.55 बजे तक इन अखाड़ों के संतों,अचार्यों और महामंडलेश्वरों को अपने शिविर में पहुंचना है।
  • इसके बाद सुबह 7.05 बजे निरंजनी एवं आनंद अखाड़े के संन्यासी शाही घाट पर पहुंचेंगे। उन्हें भी 40 मिनट में स्नान करके 7.45 बजे लौटना होगा। तीसरे नंबर पर जूना, अग्नि और आवाहन अखाड़े के संत शाही स्नान करेंगे। इन्हें सुबह आठ बजे शाही घाट पर पहुंचना होगा और 40 मिनट में स्नान करके 8.40 बजे घाट प्रस्थान करना होगा।
  • इसके बाद बैरागी अखाड़ों के अंतर्गत आने वाले अखाडों के संत शाही स्नान करेंगे। इसमें अनी अखाड़ों के तीनों अखाड़ों में से सबसे पहले पंच निर्मोही अनी अखाड़ा 10.40 बजे घाट पर पहुंचेंगे। इन्हें आधे घंटे का समय दिया गया है। इसके बाद दिगंबर अनी अखाड़ा के संत 11.20 बजे शाही स्नान को पहुंचेंगे। इन्हें 50 मिनट का समय दिया गया है। वहीं पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा को घाट पर 12.20 बजे पहुंचना है। इनके संतों के लिए भी आधे घंटे का ही समय दिया गया है।
  • अंत में उदासीन अखाड़े के संत शाही स्नान करेंगे, लेकिन बड़ी बात यह है कि उदासीन के संतों को स्नान के लिए सबसे अधिक एक घंटे का समय दिया गया है।
  • वहीं सबसे बड़े जूना अखाड़ों को शाही स्नान के लिए सिर्फ 40 मिनट का समय दिया गया है। जूना अखाड़े के हजारों नागा संन्यासियों को इस समय सीमा में डुबकी लगाकर लौटना पड़ेगा। इतने ही समय में संन्यासियों को घाट भी खाली करना पड़ेगा क्योंकि जूना के बाद बैरागी संतों को स्नान करना है। बैरागी संतों की संख्या भी एक लाख से ऊपर है। इतने कम समय में जूना अखाड़े के संन्यासियों का स्नान कराना प्रशासन के लिए चुनौती है। बता दें कि जूना अखाड़े के शाही स्नान को देखने के लिए श्रद्धालुओं में सबसे ज्यादा उत्सुकता है। जूना अखाड़े में किन्नर अखाड़े के शामिल होने से लोगों में उत्सुकता और बढ़ गया है।

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