भोरमदेव मंदिर में सावन के तीसरे सोमवार को शिवभक्तों का जोरदार स्वागत, पुष्पवर्षा से गूंजा आसमान

रायपुर। सावन के पावन तीसरे सोमवार को कबीरधाम जिले के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल बाबा भोरमदेव मंदिर में भक्तिभाव का अद्भुत नज़ारा देखने को मिला। हजारों की संख्या में कांवरिए सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर जलाभिषेक के लिए पहुंचे। इस दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा कर भक्तों का भव्य स्वागत किया।
मुख्यमंत्री के साथ विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और अरुण साव भी मौजूद रहे। सभी नेताओं ने “हर-हर महादेव” और “बोल बम” के जयघोष के साथ श्रद्धालुओं का उत्साहवर्धन किया और भोरमदेव मंदिर परिसर में शिवभक्तों से आत्मीय मुलाकात की। मंदिर का माहौल भक्ति से सराबोर हो गया।
यह लगातार दूसरा साल है जब मुख्यमंत्री ने खुद हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा कर कांवड़ यात्रियों का स्वागत किया। इसके बाद उन्होंने रमन सिंह, विजय शर्मा और अरुण साव के साथ मंदिर में विशेष पूजा और रुद्राभिषेक किया। इस अवसर पर सभी ने प्रदेश की खुशहाली और समृद्धि की कामना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सावन के इस विशेष दिन पर बाबा भोरमदेव की धरती पर आकर हजारों शिवभक्तों के बीच होना उनके लिए गर्व की बात है। अमरकंटक से 151 किमी पैदल यात्रा कर जलाभिषेक करने वाली पंडरिया की विधायक भावना बोहरा को उन्होंने भगवा वस्त्र और श्रीफल देकर सम्मानित किया।
उन्होंने बताया कि भोरमदेव कॉरिडोर के विकास के लिए 146 करोड़ रुपये की परियोजना को स्वीकृति मिल चुकी है। इसके तहत मंदिर परिसर और आसपास के पुरातात्विक स्थलों जैसे मड़वा महल, छेरकी महल, रामचुवा और सरोदा जलाशय को एक साथ जोड़ते हुए धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही अमरकंटक में छत्तीसगढ़ के श्रद्धालुओं के लिए भवन निर्माण हेतु 5 एकड़ भूमि आबंटन की प्रक्रिया जारी है।
सावन माह में भगवान शिव के जलाभिषेक की परंपरा सदियों पुरानी है। इस अवसर पर कवर्धा से 18 किमी दूर स्थित बाबा भोरमदेव मंदिर में, जो 11वीं शताब्दी का पुरातात्विक स्थल है, कांवरिए जल चढ़ाने पहुंचते हैं। मध्यप्रदेश के अमरकंटक से लेकर छत्तीसगढ़ के मुंगेली, बेमेतरा, राजनांदगांव और खैरागढ़ जैसे जिलों से कांवरिए पैदल यात्रा कर इस मंदिर सहित डोंगरिया स्थित जलेश्वर महादेव और पंचमुखी बूढ़ा महादेव मंदिर पहुंचते हैं।
पर्वतीय और पथरीले रास्तों से होते हुए कांवरिए “बोल बम” के जयकारे लगाते हुए, भगवा वस्त्र पहनकर, पैरों में चप्पल तक नहीं पहनते हुए, भगवान शिव को नर्मदा जल अर्पित करने पहुंचते हैं। उनकी आस्था, श्रद्धा और निष्ठा देखते ही बनती है।