
रायपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत 2047” के सपने को ज़मीन पर उतारने की दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार ने एक और ठोस कदम बढ़ाया है। मंगलवार को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कांकेर जिले का दौरा करते हुए न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा की, बल्कि भावी योजनाओं का खाका भी खींचा।
इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, नांदनमारा में आयोजित स्वशासी समिति की बैठक में मंत्री श्री जायसवाल ने चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता, आधारभूत ढांचे और कॉलेज की कार्यप्रणाली पर गहन चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में निर्देश दिया कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों को जनता की पहली पसंद बनाने की दिशा में ठोस प्रयास होने चाहिए।
“इलाज के साथ-साथ सम्मान और संवेदना भी ज़रूरी”
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं का उद्देश्य सिर्फ इलाज देना नहीं है, बल्कि मरीजों को सम्मान और संवेदनशीलता देना भी उतना ही जरूरी है। उन्होंने ओपीडी और इनडोर सेवाओं में उत्कृष्टता लाने को प्राथमिकता बताया।
विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर ज़ोर
मंत्री श्री जायसवाल ने कॉलेज के छात्रों के शैक्षणिक विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक और सह-शैक्षणिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देने की बात कही, ताकि आने वाली पीढ़ी न केवल कुशल डॉक्टर बने, बल्कि संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक भी।
व्यवस्था में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व तय करने पर फोकस
स्वास्थ्य विभाग के सचिव श्री अमित कटारिया ने कॉलेज में डिजिटल उपस्थिति प्रणाली लागू करने, स्टाफ की नियमित नियुक्ति और जवाबदेही तय करने जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर निर्देश दिए।
इस महत्वपूर्ण बैठक में चिकित्सा शिक्षा विभाग की आयुक्त श्रीमती शिखा राजपूत तिवारी, सांसद श्री भोजराज नाग, कांकेर विधायक श्री आशाराम नेताम, मछुआ कल्याण बोर्ड अध्यक्ष श्री भरत मटियारा, हस्तशिल्प बोर्ड अध्यक्ष श्रीमती शालिनी राजपूत और अधिष्ठाता डॉ. खान समेत कई जनप्रतिनिधि और मेडिकल कॉलेज के अधिकारीगण मौजूद रहे।
छत्तीसगढ़ की यह पहल केवल एक जिला समीक्षा नहीं, बल्कि एक संकल्प है – बेहतर स्वास्थ्य, समर्पित सेवा और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में।