धान खरीदी 15 फरवरी तक किया जाए
पाटन। भाजपा विधाय क दल के स्थायी सचिव जितेंद वर्मा ने कहा कि सरकार को धान खरीदी की समय सीमा को बढ़ाना चाहिए। सरकार हर हाल में धान की खरीदी 15 फरवरी तक करे। हालाकि सरकार ने धान खरीदी की मियाद सात फरवरी तक बढ़ा दी है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 96 प्रतिशत धान की खरीदी हो चुकी है। जिले में 14 केंद्र ऐसे हैं जहाँ धान खरीदी 90 फीसदी से कम है। बेमौसम बारिश के चलते धान खरीदी चार से पांच दिनों तक प्रभावित रही है। दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में अचानक बारिश हुई। इससे ना सिर्फ धान खरीदी केंद्रों में रखे धान भीग गए बल्कि जमीन गीली होने के कारण अधिकतर धान खरीदी केंद्रों में धान खरीदी चार से पांच दिनों तक प्रभावित रही। पूरे सीजन में लगभग 10 दिनों तक धान खरीदी प्रभावित रही। वर्मा ने कहा कि मौसम विभाग के अनुसार बस्तर संभाग को छोड़कर प्रदेश में ज्यादातर इलाको में गुरुवार को हल्की बारिश की संम्भावना है।
सरगुजा सम्भाग के एक दो स्थानों पर ओले भी गिरेंगे। ओले से फसलों को फिर नुकसान होने का खतरा बढ़ गया है। श्री वर्मा ने कहा कि राजनांदगांव जिले के डोंगरगांव ब्लॉक मुख्यालय के पास ग्राम ख़ुर्शीटिकुल सहकारी समिति में दिसम्बर के अंत में हुए बेमौसम बारिश से 20 हजार बोरा धान भीगने के बाद अंकुरित हो गया है। राजनांदगांव जिला प्रशासन द्वारा शासन को भेजी गई रिपोर्ट में करीब 13 हजार टन धान भीगने की बात कही गई है। इससे 2500 समर्थन मूल्य के हिसाब से करीब 33 करोड़ रुपये का धान बर्बाद हो गया है। जिला प्रशासन की रिपोर्ट में यह मामला उजागर होने के बाद समिति प्रबंधक को इस लापरवाही के कारण नोटिस भेजने की तैयारी चल रही है। यही हालात दूर्ग जिले का भी हो सकता है।
वर्मा ने कहा कि भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार से भारतीय जनता पार्टी ने एक नवंबर से धान खरीदी किया जाए यह बार बार दोहराया था। लेकिन सरकार ने अनसुना कर दिया। सरकार की हठधर्मिता और बेमौसम बारिश से अन्नदाता रूपी किसानों को बहुत नुकसान हुआ है। मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार गुरुवार से फिर हल्की बारिश का दौर शुरू होने वाला है। पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से ऊपरी हवा का चक्रवात व एक द्रोणिका बनी हुई है। इसके असर से मौसम में उतार चढ़ाव होगा। इसकी झलक गुरुवार की दोपहर से ही दिख रहा है। फिर बेमौसम बारिश से धान खरीदी प्रभावित होगी। जिन किसानों का धान खरीदी नही किया गया है वे पुनः संकट की दोहरीमार झेलने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। अगर धान खरीदी एक नवम्बर से प्रारम्भ हो जाती तो किसानों को जो नुकसान हुआ है वह नही होता।