पेट की झिल्ली के कैंसर में रायपुर मेडिकल कॉलेज ने रचा इतिहास, पाईपेक तकनीक से किया सफल इलाज
पेट, कोलन, ओवेरियन और पेरीटोनियल कैंसर के मरीजों में उपयोगी सिद्ध हुई

रायपुर, 7 अगस्त 2025 — छत्तीसगढ़ की चिकित्सा सेवाओं के लिए यह गर्व का क्षण है। पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर से संबद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय में पेट की झिल्ली के कैंसर (Peritoneal Carcinomatosis) से जूझ रही 54 वर्षीय महिला मरीज का तीन सत्रों में सफल पाईपेक (PIPAC) कीमोथेरेपी से उपचार कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की गई है।
यह प्रक्रिया मध्य भारत के किसी भी सरकारी संस्थान में पहली बार सफलतापूर्वक की गई है। यह उपलब्धि सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग, क्षेत्रीय कैंसर संस्थान रायपुर की मेडिकल टीम के अत्याधुनिक तकनीकी कौशल और समर्पण का परिणाम है।
क्या है PIPAC तकनीक?
पाईपेक (Pressurized Intraperitoneal Aerosol Chemotherapy) तकनीक एक उन्नत कैंसर उपचार विधि है, जिसमें कीमोथैरेपी की दवा को एयरोसोल फॉर्म में पेट की गुहा में दबाव के साथ डाला जाता है। इससे दवा सीधे कैंसर कोशिकाओं पर असर करती है और बाकी शरीर पर दुष्प्रभाव कम होते हैं।
उपलब्धि के मायने:
- 3 सत्रों तक सफल पाईपेक देना दुर्लभ है, क्योंकि अधिकांश मरीज एक से अधिक सत्र नहीं ले पाते।
- मरीज वर्तमान में स्थिर हैं और सामान्य जीवन जी रही हैं।
- इस तकनीक का लाभ उन्हें मिलता है जिन पर पारंपरिक कीमो या सर्जरी असर नहीं करती।
चिकित्सकों की राय:
- डॉ. आशुतोष गुप्ता ने बताया कि यह तकनीक उन मरीजों के लिए आशाजनक है जिनके कैंसर का स्तर उन्नत अवस्था में होता है।
- डीन डॉ. विवेक चौधरी ने इसे रायपुर मेडिकल कॉलेज के लिए मील का पत्थर कहा।
- अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने इसे प्रदेश के लिए कैंसर इलाज की दिशा में एक नई उम्मीद बताया।
पाईपेक तकनीक से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य:
- यह प्रक्रिया सीमित केंद्रों पर ही उपलब्ध है, जैसे एम्स दिल्ली, टाटा मेमोरियल मुंबई।
- यह अनुसंधानात्मक तकनीक पेट, कोलन, ओवेरियन और पेरीटोनियल कैंसर के मरीजों में उपयोगी सिद्ध हुई है।
- रायपुर मेडिकल कॉलेज द्वारा इसे सफलतापूर्वक अपनाया जाना एक महत्वपूर्ण चिकित्सा उपलब्धि है।