गांजा तस्करों ने अब अपना तस्करी करने का तरीका बदल दिया है। गांजा तस्कर अब महिलाओं को गांजा तस्करी करने का माध्यम बना रहे हैं। साथ ही गांजा लाने के एवज में उन्हें प्रति किलो सात सौ से हजार रुपये बतौर कमीशन के तौर पर दिए जा रहे हैं।
पुलिस के मुताबिक गांजा तस्करों के बारे में जानकारी जुटाने स्थानीय के बजाय ओडिशा में मुखबिर तंत्र तैयार किया गया है, उन्हीं के माध्यम से गांजा तस्करों के बारे में जानकारी मिलती है। रायपुर के टिकरापारा और तेलीबांधा थाने की पुलिस ने पिछले सवा महीने में एक क्विंटल से ज्यादा गांजा जब्त की है। टिकरापारा थाना क्षेत्र में जब से अंतरराज्यीय बस स्टैंड बना है तब से यह एक हब बना गया है। पुलिस ने वहां से महिलाओं को गांजा तस्करी के आरोप में गिरफ्तार भी किया है।
गांजा तस्कर पुलिस को चकमा देने के लिए गांजा लाने फलों का भी उपयोग करते हैं। तस्कर गांजा को फलों के बीच में छिपाकर इसे सैलो टेप से टाइट बांध देते हैं और अन्य फलों के बीच छिपा देते हैं। इस प्रकार की तस्करी ज्यादातर महिलाएं करती है। गांजा का अवैध कारोबार करने वाले लोग बल्क में गांजा मंगाने की बजाय पुलिस से बचने के लिए सीमित मात्रा में एक से दो किलो के बीच गांजा मंगा रहे हैं।
ओडिशा से तस्करी के माध्यम से गांजा लाने वाले कुरियर बाय को अपने गंतव्य से निकलने के बाद अहसास हो जाता है कि उनकी मुखबिरी हो गई है। इसके चलते कुरियर बाय बस में चढ़ने के बाद 25-50 किलोमीटर दूर किसी गांव या कस्बा का टिकट लेता है। इसके बाद वह वाहन बदल-बदलकर रायपुर पहुंचने के बाद संबंधित को गांजा आपूर्ति करते हैं। वहीं, रायपुर से ही दूसरे राज्यों में भी गांजा भेजा जाता है। इसके लिए बस, ट्रेन कुरियर का उपयोग होता है।