छत्तीसगढ़रायपुर

C.G पुलिस ने हत्या के मामले में डीयू की प्रोफेसर को क्लीन चिट दी

छत्तीसगढ़ पुलिस ने आदिवासी शामनाथ बघेल की हत्या मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदनी सुंदर समेत छह लोगों का नाम आरोपियों की सूची से हटा दिया है.

राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इन आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं. सुकमा जिले के तोंगपाल थाना क्षेत्र में शामनाथ बघेल की हत्या के मामले में पुलिस ने चालान तैयार कर लिया है. पुलिस ने इस घटना में नामजद आरोपी नंदनी सुंदर, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की प्रोफेसर अर्चना प्रसाद, विनीत तिवारी, सीपीएम नेता संजय पराते, मंजु कवासी और मंगला राम कर्मा का नाम इस मामले से हटा लिया है.

सुकमा जिले के एसपी जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि पुलिस ने पूरे मामले की जांच की थी. जांच के दौरान पुलिस को नंदिनी सुंदर और अन्य लोगों के खिलाफ तोंगपाल हत्या मामले में कोई सबूत नहीं मिला. ग्रामीणों के बयान और चश्मदीद गवाह ने यह भी कहा कि सुंदर और अन्य हत्या के समय घटना स्थल पर मौजूद नहीं थे. इसलिए इनका नाम इस प्रकरण से हटाने का फैसला किया गया है.

बता दें कि इस मामले में सुकमा जिले के तोंगपाल थाना में पांच नवंबर 2016 को आदिवासी महिला बिमला बघेल ने शिकायत दर्ज कराई थी. बिमला ने पुलिस को दी जानकारी मं बताया था कि चार नवंबर को जब वह अपने पति शामनाथ बघेल और परिवार के सदस्यों के साथ घर पर थी तब रात में हथियारबंद नक्सली उनके घर में घुस गए और पति शामनाथ को बाहर निकालकर उसकी हत्या कर दी गई थी.

बिमला की शिकायत के अनुसार नक्सलियों के ने शामनाथ बघेल पर गांव वालों को भड़काने का आरोप लगाकर उसे पीटना शुरू कर दिया था. पिटाई के दौरान नक्सलियों ने कहा था कि दिल्ली से नंदिनी सुंदर, अर्चना प्रसाद, विनीत तिवारी और संजय पराते ने नामा गांव आकर कहा था कि तुम लोग नक्सलियों का साथ दो वे ही तुम लोगों के सच्चे हितैषी हैं. उनका विरोध मत करो. लेकिन शामनाथ ने उनकी बात नहीं मानी और ग्रामीणों को भड़का कर टंगिया ग्रुप बनाया.

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक आरोप था कि बाद में नक्सलियों ने धारदार हथियार से शामनाथ की हत्या कर दी थी. बिमला की शिकायत पर पुलिस ने हथियारबंद नक्सलियों और नंदनी सुंदर, अर्चना प्रसाद, विनीत तिवारी, संजय पराते, मंजू कवासी और मंगला राम कर्मा के खिलाफ हत्या और आपराधिक षडयंत्र समेत अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया था और मामले की जांच शुरू कर दी थी. उन्होंने बताया कि जांच के दौरान सुंदर और दूसरे पांच आरोपियों के खिलाफ हत्या में शामिल होने का कोई भी सबूत नहीं मिला. इसलिए इस मामले से उनका नाम हटाने का फैसला किया गया.

इस केस में में शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद पुलिस पर बेकसूर लोगों को फंसाने का आरोप लगा था. इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बस्तर क्षेत्र के तत्कालीन आईजी एसआरपी कल्लूरी पर फर्जी मामले बनाने का आरोप लगाया था. बाद में इस मामले को सीआईडी को सौंप दिया गया था. हालांकि सुंदर और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी नहीं हुई थी. नंदनी सुंदर ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि उनके खिलाफ प्रतिशोध की भावना से कार्रवाई की गई थी. उन्होंने उम्मीद जताई कि छत्तीसगढ़ और दूसरी जगहों पर झूठे आरोपों में जेल गए सभी लोगों को भी जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा.

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