
रायपुर
- छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में हार के बाद अब लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सात मार्च को आ रहे हैं। पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर हिंदुत्व के मुद्दे पर मिली सफलता से शाह जोश भरने का काम करेंगे।
- यही नहीं, बूथ प्रभारी और शक्ति केंद्र प्रभारियों शाह से सीधे सवाल भी कर सकते हैं। साथ ही बूथ पर हार के कारणों की पड़ताल भी करेंगे। अमित शाह 15 फरवरी को छत्तीसगढ़ आने वाले थे, लेकिन पुलवामा घटना के बाद उनका दौरा टल गया था।
- भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो शाह का दौरा टलने के कारण चुनावी तैयारी में 17 दिन पिछड़ गये हैं। शाह शक्ति केंद्र प्रभारियों से संवाद के बाद बूथ स्तर पर पहुंचने की रणनीति बनाते। इसके बाद अगले दस दिन में उसे पूरा करने में पदाधिकारी जुटते, लेकिन शाह का संवाद नहीं हो पाया।
- शाह गुजरात मॉडल पर पन्ना प्रभारियों को जिम्मेदारी सौंपने की तकनीक पर चर्चा करेंगे। बताया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में पन्ना प्रभारी का फार्मूला दिया गया था, लेकिन नेताओं ने इसे फालो नहीं किया। वरिष्ठ भाजपा नेता ननकीराम कंवर ने चुनाव में हार के बाद यह स्वीकार किया था कि पन्ना प्रभारी का फार्मूला फेल हो गया।
- इसे लागू किया जाए, तो भाजपा को तीस साल तक प्रदेश में सत्ता से कोई दूर नहीं कर सकता है। शाह इस फार्मूले के बारीक टिप्स पदाधिकारियों को देंगे। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो शाह का 15 फरवरी को दौरा हो जाता तो प्रदेश चुनाव समिति और कोर ग्रुप की तैयारियां भी शुरू हो जाती।
- कांग्रेस उम्मीदवारों को लेकर मंथन कर रही है, जबकि भाजपा में यह प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो पाई है। प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय ने प्रदेशभर का दौरा करके संभावित उम्मीदवारों की सूची तैयार की है। लेकिन जिला और मंडल स्तर पर कोई चर्चा नहीं हुई है। ऐसे में टिकट के दावेदारों की नाराजगी को कम करने के लिए यह फार्मूला अपनाना जरूरी है। शाह के दौरे के बाद पार्टी इस दिशा में आगे बढ़ेगी।