
रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के एक छोटे से गांव कोड़ातराई में हाल ही में एक अनोखी कहानी सामने आई है—ऐसी कहानी, जिसमें सरहदें हैं, पहचान की उलझन है और इंसानी जज़्बात भी। पुलिस ने यहां रहने वाले एक भाई-बहन को पकड़ा है, जिनका जन्म पाकिस्तान के कराची में हुआ था, लेकिन पिछले कई दशकों से वे भारत में रह रहे थे—एक फर्जी वोटर आईडी के सहारे।
इन दोनों की जड़ें कोड़ातराई से ही जुड़ी हैं। इनके पिता याकूब कभी इसी गांव के रहने वाले थे। उन्होंने पाकिस्तान में शादी की, जहां उनके दो बच्चों का जन्म हुआ। बाद में भारत लौटे और तीसरे बच्चे का जन्म यहीं हुआ। लेकिन कागज़ों में उलझे दो बड़े बच्चों की पहचान आज एक बड़ा सवाल बन गई है।
अब जब केंद्र सरकार ने पाकिस्तानियों को भारत छोड़ने का निर्देश दिया है, तो इन भाई-बहन के सामने एक गहरी मुश्किल खड़ी हो गई है—”जाएं तो जाएं कहां?”
जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष लालमणि त्रिपाठी ने स्पष्ट किया है कि भारत में दोहरी नागरिकता की इजाज़त नहीं है। ऐसे में मामला अब अदालत की चौखट पर है।
हालांकि इनकी नागरिकता भारत की नहीं है, लेकिन करीब 80 साल से इनका परिवार रायगढ़ में रह रहा है। क्या सिर्फ जन्मस्थान किसी की जड़ें तय करता है, या फिर इंसानी रिश्ते, ज़मीन से जुड़ाव और दशकों पुराना जीवन भी कुछ मायने रखता है?
यह सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि पहचान, नागरिकता और इंसानियत से जुड़ा सवाल बन चुका है।