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मात्र 1 रुपए तनख्वा पर काम करने वाले आईएस अफसर की कहानी

आईएएस का पेशा अपने साथ कई चुनौतियाँ लेकर आता है। यह एक ऐसा पेशा होता है जिसमें राजनेताओं से करीबी और जनता से सामना हर दिन की बात होती है। आज हम आपको हमारे छत्तीसगढ़ के ही एक ऐसे आईएएस के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी ईमानदारी की मिसाल पूरा प्रदेश देता है. वो जहाँ भी पदस्थ रहे अपनी कार्यशैली की वजह से खूब वाहवाही लूटी मगर एक घटना ने इन्हें कंट्रोवर्सी में भी ला दिया। जिसके बारे हम आपको आगे बताएंगे।

आज फोर्थ आई न्यूज़ आपको बताने जा रहा है छत्तीसगढ़ के एक ऐसे आईएस अफसर अमित कटारिया की कहानी। छत्तीसगढ़ कैडर से आईएएस अधिकारी अमित कटारिया मूलरूप से गुड़गांव के हैं। उनके पिता सरकारी स्कूल से रिटायर्ड शिक्षक हैं।गुड़गांव के सेक्टर-15 पार्ट-एक में उनके पिता, मां और बड़े भाई का परिवार रहता है। छुट्टियों में अमित यहां आते-जाते रहते हैं। गुड़गांव के रहने वाले अमित ने आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्राॅनिक्स में बीटेक किया है।- बीटेक की पढ़ाई के दौरान ही उन्हें देश विदेश की नामी गिरामी कंपनियों से लाखों के पैकेज पर नौकरी का आफर मिला था, लेकिन वे आईएएस बनना चाहते थे। इसलिए सभी ऑफर ठुकरा दिए। कटारिया के परिवार का दिल्ली और आसपास रियल एस्टेट का कारोबार है। साथ ही शॉपिंग माॅल और कई कॉम्प्लेक्स भी हैं। उनकी पत्नी अस्मिता हांडा एक प्रोफेशनल पायलट हैं। बताया जाता है कि इनकम के मामले में अस्मिता अपने पति से कहीं आगे हैं।

अमित कटारिया 2004 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। अमित कटारिया की इमेज एक सख्त और दबंग एडमिनिस्ट्रेटर की है। वे जहां भी कलेक्टर रहे, वहां का कामकाज चुस्त रहा।सबसे पहले वो साल 2010 में चर्चा में तब आए जब वो रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी के सीईओ थे। सरकार जहां भी परेशान हुई कटारिया को हमेशा वहां भेजा गया और उन्होंने हमेशा सरकार को मुसीबत से निकाला।उस समय उन्होंने जो काम किया, उसका लोहा आज भी लोग मानते हैं. सीईओ रहते हुए कटारिया ने छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट को लांच किया था. रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी की जब उन्होनें कमान संभाली, तो विभाग की हालत बहुत खराब थी. कटारिया ने आते ही विभाग में जान डाल दी थी. उन्होंने 15 साल से रुके कर्मचारियों की पदोनन्ति को शुरू करवाया था और कर्मचारियों को अच्छे कपड़े पहनने और सलीके से रहना भी सिखाया था। उनकी एक ख़ास बात यह मानी जाती है की काम के दौरान वे कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं करते। सामने सरकार हो या नेता, उसे आड़े हाथों लेते हैं। उनके बारे में यह भी किस्सा काफी मशहूर हुआ कि वो महज़ 1रुपए वेतन लेकर अपनी प्रशासनिक सेवा करते हैं। इसपर कई हेडलिनेज़ भी बनीं मगर अमित कटारिया ने कभी इसपर खुलकर अपनी बात नहीं रखी।

काम करने या करवाने के मामले में भी आईएएस अमित कटारिया बहुत सधे माने जाते हैं. 2013 में कटारिया रायगढ़ के कलेक्टर थे. तब शहर में बनने वाली सड़क को लेकर आम जनता से राय ली जा रही थी. इसी बैठक में रोशन अग्रवाल थे, जो रायगढ़ में बीजेपी के बड़े नेता हैं और इसी विधानसभा से विधायक भी रह चुके हैं। बैठक में रोशन अग्रवाल अवैध निर्माण करने वाले की वकालत कर रहे थे और कलेक्टर अमित कटारिया बार-बार उन्हें समझा रहे थे की सड़क बनाने के लिए अवैध निर्माण को तोड़ना ही पड़ेगा. इसी बीच रोशन अग्रवाल बार-बार अपनी बात मनवाने के लिए कटारिया से बहस करने लगे. इसके बाद कटारिया ने बीजेपी नेता को मीटिंग से बाहर कर दिया. रायगढ़ के लोगों की मानें तो रायगढ़ में कटारिया के कार्यकाल में गरीबों का मुफ्त इलाज जो करीब करीब 4 करोड़ रुपये का था वो सफलतापूर्वक हुआ. जिला अस्पताल के सिविल सर्जन भी इस बात को मानते हैं की कटारिया साहब ने हमेशा अस्पताल प्रबंधन का साथ दिया. अमित कटारिया ने गरीबों की हार्ट और ब्रेन जैसी सर्जरी अपने कार्यकाल में मुफ्त में करवाई.

उनके आईएएस करियर की सबसे बड़ी कंट्रोवर्सी तब हुई जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सन 2015 की 9 मई को दंतेवाड़ा यात्रा पर आए थे। उस समय अमित कटारिया वहां के कलेक्टर थे और पीएम के आगमन के दिन उन्होनें अपनी फॉर्मल ड्रेस के साथ ब्लैक गोग्ग्ल भी पहना हुआ था। और इसी अंदाज़ में उन्होनें बतौर जगदलपुर कलेक्टर एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री की अगवाई भी की थी. इस दौरान पीएम मोदी ने उसने हाथ मिलाया था, हालांकि उनके पहनावे पर हैरत भी जाहिर की थी। इस मुद्दे पर पॉलिटिकल खेमे में अमित कटारिया की काफी बुराई की गई थी। छत्तीसगढ़ सरकार को कटारिया का यह पहनावा रास नहीं आया था और भविष्य में ऐसा नहीं करने की सलाह दी गई थी. हैरत की बात यह है कि जिस जगह के वो कलेक्टर थे वहीं के लोगों का इस मामले में कहना था की ऐसा पहला अफसर जगदलपुर आया है, जो दरभा घाटी और झीरम घाटी जैसी जगहों में जाकर ग्रामीणों की समस्या सुनता है. आपको बता दें कि झीरम घाटी वही इलाका है, जहां नक्सलियों ने 33 कांग्रेसियों को मार दिया था. अमित कटारिया जबसे जगदलपुर आए हैं, वो लगातार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जाकर जन शिविर में खुद शामिल होते थे और ग्रामीणों की समस्या सुनते थे। उनके साथ काम करने वाले अधिकारी हों, कर्मचारी या आम नागरिक, सब ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कटारिया को नोटिस जारी करना गलत है।

जब नवम्बर 2016 में नोटबंदी हुई तब उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर बैंक में लाइन लगकर नोट बदलवाने की फोटो शेयर की। साथ ही इसी हफ्ते उनकी पायलट वाइफ का फोटोशूट भी वायरल हुआ। हाल ही में छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अमित कटारिया की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति की अवधि में दो साल का एक्सटेंशन किया गया है। यानी कटारिया अब दो साल और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहेंगे, उसके बाद छत्तीसगढ़ लौटेंगे। 2004 बैच के आईएएस कटारिया 2017 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। इससे पहले वे केंद्र में लैंड रिसोर्स डिपार्टमेंट में थे। अब वे ग्रामीण विकास विभाग में जॉइंट सेक्रेटरी के रूप में काम करेंगे। बता दें कि कैबिनेट की अपॉइंटमेंट्स कमेटी से अप्रूवल के बाद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति की अवधि बढ़ाई गई है। आईएएस अमित कटारिया को उनके अच्छे काम के कारण याद करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है. कटारिया ने जिन भी जिलों में काम किया है, वहां के लोग आज भी उन्हें याद करते हैं।

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