सुकमा : 4 इनामी समेत 15 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
सुकमा : छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास एवं आत्म समर्पण नीति से प्रभावित, पुलिस द्वारा चलाये गये नक्सल विरोधी अभियान से दबाव में आकर व जनजागरण अभियान से प्रेरित होकर, समाज की मुख्य धारा में शामिल होने की इच्छा, आंध्रप्रदेश के बड़े नक्सली लीडरों की प्रताडऩा एवं भेदभाव से प्रताडि़त होकर 4 ईनामी समेत 15 सक्रिय एवं हार्डकोर नक्सलियों ने सुकमा जिला पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पित सभी माओवादी जनमिलिशिया सदस्य हैं और छत्तीसगढ़ के मूल निवासी हैं।
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आत्मसमर्पण करने वालों में दंपति भी शामिल हैं। एलजीएस कुंजाम कोसा और उसकी पत्नी कुंजाम पार्वती ने मुख्यधारा से जुडऩे का फैसला लिया और नक्सलवाद से तौबा कर ली। कुंजाम कोसा पर 5 लाख और कुंजाम पार्वती पर एक लाख रुपए का इनाम था।
इनके अलावा एक-एक लाख के कुराम एनका और कुहराम दुला ने भी पुलिस और सुरक्षाबल के सामने सरेंडर कर दिया। दो नक्सलियों ने हथियार के साथ सरेंडर किया है। सभी को सरकार की नीतियों के तहत सहायता दी जाएगी।
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आत्मसमर्पित नक्सलियों ने पुलिस को बताया कि बड़े नक्सली लीडरों में विचारधारा से भटककर पैसे कमाने व हिन्सा की प्रवृति बढ़ी है एवं विलासिता की प्रवृति बढ़ गई है। बड़े नक्सली कमाण्डर स्थानीय लीडर पर दबाव बनाकर पुलिस पर हमला करने हेतु उकसाते हैं व गांव के युवकों को जो पुलिस से जुडऩा चाहते हैं, उनकी हत्या करवाने हेतु उकसाते हैं। माओवादियों द्वारा की जाने वाली वसूली का एक बड़ा हिस्सा, बड़े नक्सली कमाण्डर अपने साथ ले जाते हैं।
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लोकल संगठन चलाने के लिए जितने पैसे दिये जाते हैं, वह अपर्याप्त होता है। वर्तमान में गांव के लोगों में भी नक्सली विचारधारा को लेकर काफी मतभेद उभरकर सामने आए हैं और ग्रामीण भी खुलकर नक्सलियों का विरोध कर रहे हैं व नक्सली भी अभी बंदूक के दम पर ग्रामीणों का शोषण कर रहे हैं, कोई भी ग्रामीण नक्सली संगठन से जुडऩे को तैयार नहीं है। नक्सली संगठन में महिलाओं का शोषण आम बात है।
आदिवासियों के हितैषी नहीं नक्सली
समर्पितों ने बताया कि आंन्ध्रप्रदेश के बड़े नक्सली कमांडर छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र में कई बड़ी नरसंहार जैसी घटनाओं को घटित करते हैं एवं जब उनको अपना पारिवारिक जीवन-यापन करना होता है, तो आंध्र प्रदेश में जाकर बड़ी रकम की लालच में सरेंडर कर देते हैं। हम छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र के नक्सलियों को ऐसा करने पर प्रताडि़त करके दुष्प्रचार करते हैं कि अगर संगठन छोडक़र जाओगे तो पुलिस तुमको मार देगी। वर्तमान में नक्सली संगठन अपने मूल लक्ष्य से भटककर मात्र पैसा वसूली का जरिया बन गया है। आंध्र प्रदेश के नक्सली आदिवासियों के हितैषी नहीं हैं, सिर्फ उनको भ्रमित कर संगठन चला रहे हैं।
हमें बलि का बकरा बनाया जाता है
आन्ध्रप्रदेश के नक्सलियों द्वारा महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ एवं अन्य राज्यों के नक्सलियों को संगठन का हवाला देते हुए नसबंदी करा देते हैं जबकि स्वयं नहीं कराते हैं। उनके द्वारा छत्तीसगढ़ से संगठन के नाम से करोड़ों का चंदा वसूली कर अपने पास रख लेते हैं। कोई भी वारदात करते समय आन्ध्रप्रदेश के बड़े नक्सली लीडर छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को सामने करते हैं और वे पीछे रहते हैं, ताकि पुलिस फयरिंग के दौरान किसी प्रकार की क्षति हो तो छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को हो तथा वे सुरक्षित रहें।
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