सुकमा : अत्यंत नक्सली प्रभावित इलाके में केन्द्रीय सुरक्षा बल की एक मात्र सहायक कमान्डेंट उषा किरण इन इलाकों में नक्सलियों का मुकाबला कर रही है । वहीं महिलाओं को विकास और रोजगार से जुडऩे के लिए प्रेरित कर रही है। उषा यह एक पूरी कंपनी को लीड कर रही हैं। उन्हें कोबरा 206 बटालियन में पोस्टिंग मिली है।
नक्सलगढ़ इलाके में वह न सिर्फ एके-47 जैसे हथियारों से नक्सलियों से मुकाबला कर रही हैं बल्कि सामाजिक जागृति फैलाने का काम भी इलाके में कर रही हैं। उषा यहां लोगों को सुरक्षा के साथ शिक्षा-स्वास्थ्य और देशप्रेम जगाने का काम भी कर रही हैं। उनके इन्हीं कामों को देखते हुए उन्हें एफआईसीसीआई ( फिक्की) ने अचीवर अवार्ड के लिए भी नामांकित किया है। उन्हें यह अवार्ड 27 अप्रैल को जयपुर में मिलेगा।
सामाजिक जागृति फैलाने का काम भी इलाके में कर रही हैं
उषा किरण ने बताया कि दरभा के बाद अब कोबरा बटालियन में होने के बाद उनका कार्यक्षेत्र चिंतागुफ ा और बुर्कापाल रखा गया है, दोनों ही इलाके बेहद खतरनाक हैं। चिंतागुफां थाना क्षेत्र में 2009 से अब तक 150 जवान शहादत दे चुके हैं। अभी एक साल पहले ही बुर्कापाल में 23 सीआरपीएफ जवान कैंप के पास ही शहीद हो गए थे। ऐसे खतरनाक इलाके में उषा न सिर्फ काम रही हैं बल्कि जंगलों में सर्च ऑपरेशन भी चला रही हैं।
चिंतागुफां थाना क्षेत्र में 2009 से अब तक 150 जवान शहादत दे चुके हैं
उषा के साथ काम करने वाले जवानों ने बताया कि अभी चार दिनों पहले ही वह तीन दिनों के लिए ऑपरेशन पर गई थीं। इस दौरान जंगलों में भारी बारिश हो रही थी लेकिन उषा का हौसला कम नहीं हुआ और ऑपरेशन खत्म कर ही वे वापस लौटीं।
उषा किरण के पति डॉ. किरण भी इसी इलाके में बतौर डॉक्टर पोस्टेड हैं।
अभी चार दिनों पहले ही वह तीन दिनों के लिए ऑपरेशन पर गई थीं
उषा कोबरा कमांडो के तौर पर खतरनाक हथियार लेकर नक्सलियों के मुकाबला करने हमेशा तैयार रहती हैं वहीं अपने पति के साथ मिलकर इलाके के लोगों का इलाज करना, उनकी देखभाल करना भी उसके काम का हिस्सा है। वह अक्सर नक्सल प्रभावित इलाकों के गांवों में बच्चों और महिलाओं की सेहत जांचने अपने पति के साथ जाती हैं। इस दौरान जरूरतमंदों को इलाज के साथ-साथ दवा भी उपलब्ध करवाती हैं।
नक्सलियों के मुकाबला करने हमेशा तैयार रहती हैं
उषा दरभा जैसे नक्सल प्रभावित इलाके की लड़कियों के लिए रोल मॉडल हैं। इस पूरे इलाके में कुछ समय पहले तक लड़कियां और महिलाएं नक्सलियों के लिए काम करती थीं फिर इस इलाके में जनजागरण अभियान चलाया गया और बड़ी मात्रा में सरेंडर हुए। इसी बीच उषा किरण की पोस्टिंग यहां हुई। वह पहली सीआरपीएफ की महिला अफसर हैं, जिनकी पोस्टिंग इस इलाके में हुई। ऐसे में उषा यहां भी सुरक्षा के साथ महिलाओं को जागरूक करने में लग गईं। उन्हें सबसे पहले भडरीमहू की महिलाओं से मिलाया गया।
ऐसे में उषा यहां भी सुरक्षा के साथ महिलाओं को जागरूक करने में लग गईं
जब उषा यहां टाइटफिट वर्दी, मजबूत जूतों और कंधों में स्टार के साथ पहुंचीं तो यहां की लड़कियों को और महिलाओं को भी लगा कि फोर्स में महिलाओं को बढिय़ा स्थान मिल सकता है। इसके बाद उन्होंने गांव की महिलाओं और लड़कियों को कई टिप्स भी दिए। भडरीमहू से शुरू हुआ सिलसिला कई गांवों तक पहुंचा। उषा इस इलाके में लड़कियों के लिए रोल मॉडल बन गईं। अब उषा की पोस्टिंग चिंतागुफा-बुर्कापाल में हुई है और वे यहां भी लोगों के दिल जीतने में लगी हैं।