भाजयुमो अध्यक्ष राहुल टिकरिहा पर चाचा के गंभीर आरोपों से मचा सियासी घमासान

रायपुर। छत्तीसगढ़ भाजपा युवा मोर्चा (भाजयुमो) के नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष राहुल योगराज टिकरिहा एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं। इस बार मामला न तो चुनावी बयानबाज़ी का है, न ही संगठनात्मक असहमति का—बल्कि सीधे उनके निजी जीवन से जुड़ा पारिवारिक विवाद है, जिसने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है।
बेमेतरा जिले के सिलहट गांव से ताल्लुक रखने वाले राहुल पर उनके ही चाचा रविकांत टिकरिहा ने बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। एक शिकायती पत्र में रविकांत ने राहुल पर अवैध संबंध और परिवार को बर्बाद करने का दावा किया है। यह पत्र सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैला, और देखते ही देखते यह एक राजनीतिक तूफान में बदल गया।
सोशल मीडिया पर तूफानी बहस, भाजपा पर नैतिकता को लेकर सवाल
जैसे ही पत्र वायरल हुआ, सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। कई यूज़र्स ने सवाल उठाए कि “क्या बीजेपी ऐसे विवादित व्यक्ति को प्रदेश नेतृत्व सौंपकर युवा राजनीति को किस दिशा में ले जा रही है?” कुछ ने तो पार्टी की नैतिकता पर भी सवाल उठाते हुए राहुल को तत्काल हटाने या प्रदेश अध्यक्ष के इस्तीफे की मांग तक कर डाली।
एक यूज़र ने तीखा तंज कसते हुए लिखा—
“युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनकर राहुल ने परिवारवाद की नई परिभाषा गढ़ दी है।”
भाजयुमो अध्यक्ष ने बनाई चुप्पी, करीबियों ने दी सफाई
इस पूरे मामले में राहुल टिकरिहा अब तक मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं और कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, उनके कुछ करीबी सहयोगियों ने दावा किया है कि यह विवाद चार साल पुराना है और इसमें कोर्ट से क्लीन चिट भी मिल चुकी है। उनका कहना है कि
“यह मुद्दा पहले भी राहुल को बदनाम करने के मकसद से उठाया जा चुका है।”
बताया जा रहा है कि राहुल संगठन के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष स्पष्ट कर सकते हैं।
भाजपा और भाजयुमो की चुप्पी बनी रहस्य
अभी तक भाजपा और भाजयुमो की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे कयासों का दौर और तेज हो गया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यदि पार्टी जल्द स्थिति स्पष्ट नहीं करती, तो यह मामला संगठन की साख पर बड़ा सवाल बन सकता है।
18 दिन पहले मिली थी अध्यक्ष की जिम्मेदारी
गौरतलब है कि राहुल टिकरिहा को सिर्फ 18 दिन पहले ही भाजयुमो का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। सोशल मीडिया पर मंत्री रवि भगत से सवाल पूछे जाने के बाद यह नियुक्ति हुई थी। राहुल के साथ कुल 47 नए पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई थी।
क्या राजनीति अब निजी विवादों की बंधक बनती जा रही है?
राहुल टिकरिहा पर लगे आरोप और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राजनीति में नैतिकता सिर्फ भाषणों तक सीमित रह गई है? अब सबकी निगाहें भाजपा की अगली रणनीति और राहुल की सफाई पर टिकी हैं।