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लॉ यूनिवर्सिटी में भी IIT की तरह महिलाओं को मिल सकता है ‘अतिरिक्त कोटा’

- संसद की विभाग संबंधी स्थायी समिति ने न्यायालयों में महिला न्यायाधीशों की भागीदारी दस प्रतिशत के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक करने की सिफारिश की है. समिति ने न्यायपालिका में महिला न्यायाधीशों का प्रतिनिधित्व बहुत कम होने का हवाला देते हुए सरकार को ये सुझाव दिया. कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय संबंधी संसदीय स्थायी समिति की राज्यसभा में पेश रिपोर्ट में महिलाओं की न्यायपालिका में कम भागीदारी पर चिंता व्यक्त करते हुये इसे बढ़ाने के सुझाव दिये गये हैं.
- समिति ने इसके लिए अधीनस्थ न्यायापालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की तरह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज और विधि स्नातक के पांच वर्षीय पाठ्यक्रमों में महिला प्रतिभागियों के लिये ‘अतिरिक्त कोटा’ प्रणाली लागू करने का सुझाव दिया है. समिति ने न्यायपालिका में महिला न्यायाधीशों की संख्या 50 प्रतिशत तक करने की सिफारिश की है.
- भाजपा सदस्य भूपेन्द्र यादव की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति ने न्यायपालिका में ‘महिलाओं को आरक्षण’ विषय पर अपने प्रतिवेदन में कहा ‘‘आजादी के बाद से सुप्रीम कोर्ट में केवल छह महिला न्यायाधीश नियुक्त की गयीं. इनमें पहली नियुक्ति 1989 में हुई थी. समिति चाहती है कि उच्च न्यायपालिका में समाज की संरचना और विविधता परिलक्षित होनी चाहिये.’’