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जगदलपुर : टमाटर 8 आना किलो, नाराज किसानों ने संजय बाजार में छह हजार किलो टमाटर फेका

जगदलपुर : रविवार को सजने वाले संजय बाजार में अच्छे दर की चाह में आस- पास के करीब तीस किमी के दायरे से किसान अपना ताजा टमाटर लेकर पहुंचे। टमाटर के भाव उनके अनुसार अनुमानित तौर पर पांच से सात रूपए किलो होना था। अचानक उन्हें बताया गया कि कैरट 25 से 30 रूपए के दर से बाजार में टमाटर देना है। ऐसे में किसानों का नाराज होना जायज था। हिसाब किया जाए तो एक कैरेट में 23 से 25 किलो टमाटर आता है और यदि इसे 25 से 30 रूपए के दर पर बाजार में दिया जाएगा तो किसान को 80 पैसे से 1.20 रूपए किलो अपने उपज का मिलेगा। इस दर पर बाजार में टमाटर बेचा जाना किसानों के लिए संभव नहीं था। अब बात आती है कि दर कहां से आता है तो दर तय करते हैं बिचौलिये जिन्हें किसान आठ फीसदी का कमिशन अपने उपज के अच्छे दर दिलाने का देता है। रविवार को बाजार में टमाटर की आपूर्ती बढ़ता देख इन बिचौलियों ने किसानों के उपज को औने पौने में खरीदने और उसे रविवारीय बाजार में खपाने कर अच्छी रकम कमाने का मन बनाया था। किसान दरों को देखकर बौखला गए और सभी ने एक राय में कहा कि पानी के मोल अपनी मेहनत के उपज को बेचने से अच्छा है कि इसे बाजार में ही फेंक दिया जाए। चाहे इसे मवेशी खाए या फिर जरूरतमंद लेकिन बिचौलियों को टमाटर नहीं दिया जाएगा। इसी कड़ी में पहले दो ट्रेक्टर टमाटर और इसके बाद एक पिकअप और अन्य कुल मिलाकर करीब 270 कैरेट टमाटर जब संजय बाजार के बस स्टैण्ड में किसानों ने फेंकना शुरू किया तो वहां टमाटर का टीला बन गया। बताया गया कि यह टमाटर करीब छह हजार किलो था। मुख्यालय और आसपास के किसानों के उपज के मोल का निर्धारण सालों से बिचौलिए ही करते आ रहे हैं। बाजार में मांग और आपूर्ती के खेल पर नजर रखने वाले इन बिचौलियों पर प्रशासन ने कभी नकेल कसने का प्रयास ही नहीं किया। इसके चलते ही अशिक्षित किसान लगातार छला जा रहा है और खेती किसानी और उपज लेने के बाद भी ऋण के बोझ में डूबा हुआ है। किसानों के लिए समर्थन मूल्य या फिर अलग अलग उपज के तय दर का निर्धारण किसानों के हित की बात करने वाले संघ ने भी नहीं किया है। इस बात को किसान कल्याण संघ की बात करने वाले संघों के अध्यक्ष और जिम्मेदार भी स्वीकारते हैं।
शनिवार को खेल, रविवार को सात सौ फिसदी की गिरावट
किसानों की मानें तो शनिवार को बस्तर इलाके से टमाटर शहर में मंगवाया गया था। किसानों ने रविवार को एक साथ टमाटर लाने की बात कही। इस बीच किसी किसान से शहर के बिचौलिए ने बात की और एक हजार कैरेट टमटार बाजार में मंगवा लिया। किसान जब टमाटर का परिवहन कर रहा था तो दूसरे किसानों ने उसे टोका, इसपर उसने कोण्डागांव इलाके में टमाटर ले जाने की बात कही। टमाटर शनिवार को जगदलपुर पहुंचा और यहां पर बिचौलियों ने बाजार में टमाटर की आवश्यकता को देखते उसका दर 170 रूपए कैरेट खोला इस लिहाजे से प्रति किलो लगभग सात रूपए के आस पास और बाजार को प्रयाप्त टमाटर उंचे दर में दिया। शनिवार को चिल्हर में टमाटर लगभग पंद्रह से बीच रूपए किलो बिका। इसके बाद जब रविवार को टमाटर की खेप आनी थी तो बड़े सेठ कहे जाने वाले सब्जी कमिशन एजेंट और उनके साथियों ने बाजार को तोड़ दिया और टमाटर का दर 80 पैसे से 1.20 प्रति किलो खोला। इस लिहाजे से चौबीस घंटे में टमाटर के दर में सात सौ फीसदी की घटौती हुई। इस दर में भी किसानों को बतौर कमीशन आठ प्रतिशत एजेंट को देना है। ऐसे मेें किसान खाद, बिजली, पानी और परिवहन कर अपने टमाटर को एक रूपए से भी कम में बेचेगा तो उस किसान का क्या होगा इस बात को समझने को कोई तैयार नहीं है।
कमिशन एजेंट टमाटर से लाल, किसान हलाल
बताया जा रहा है कि संजय बाजार में बीके मुन्ना के नाम पर कमिशन का खेल तगड़ा होता है साथ ही अरिवंद राय, राकेश कुमार, उमांशकर व विद्याशंकर सहित अन्य एजेंट का बाजार में दबदबा है। किसान खीर सागर, दिनेश, दामोदर ने बताया कि यदि हमारे उपज का हमें कोई मोल नहीं मिलेगा तो हम किस तरह से काम कर पाएंगे। आलम यह है कि टमाटर का मोल पानी बराबर रहा, जिन गांवों से हम टमाटर को परिवहन करने के लिए गाडिय़ां लाए हैं या फिर डीजल डलवाए हैं उसका भी खर्च उपज बेचने के बाद नहीं निकाल पा रहे हैं। हम किसान तो हलाल हो रहे हैं लेकिन कमिशन एजेंट लाल हो रहे हैं।
एक कैरेट और ट्रेक्टर का दाम बराबर
किसानों ने नाराजगी व्यक्त करते बताया कि जिस तरह से बाजार में कमिशन सिस्टम चल रहा और मांग और आपूर्ती के खेल में किसान पिस रहे हैं ऐसे में टमाटर के दर में इतना ज्यादा उतार चढ़ाव होने से एक कैरेट का जो दर कभी बना करता था वो अब एक ट्रेक्टर का बन रहा है। अब तो कैरेट जिसकी कीमत 250 रूपए है उसमें रखे टमाटर का मोल 20 से 30 रूपए आ रहा है ऐसे में खेती किसानी आत्महत्या से कम नहीं है।

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