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बस्तर में 210 माओवादियों का आत्मसमर्पण — विश्वास, विकास और शांति की नई शुरुआत

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज बस्तर में 210 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण को राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया। उन्होंने कहा कि जो युवा कभी माओवाद की झूठी विचारधारा में फंसे थे, उन्होंने आज लोकतंत्र, संविधान और विकास की राह को चुना है।

साय ने कहा कि यह दिन न केवल बस्तर बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और भारत के लिए ऐतिहासिक है। वर्षों तक हिंसा की राह पर चले युवाओं ने आज अपने कंधों से बंदूकें उतारीं और संविधान को थामा। यह केवल आत्मसमर्पण नहीं, बल्कि विश्वास, बदलाव और नए जीवन की शुरुआत का क्षण है।

उन्होंने बताया कि बस्तर में बंदूकें छोड़कर लोकतंत्र और सुशासन को स्वीकार करने वाले इन युवाओं से उनकी मुलाकात उनके जीवन के सबसे भावनात्मक और संतोषजनक अनुभवों में से एक रही। यह साबित करता है कि सच्चा परिवर्तन विश्वास और नीति से आता है।

राज्य सरकार की नक्सल आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025, “नियद नेल्ला नार योजना” और “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” जैसी योजनाएं विश्वास और बदलाव की प्रेरणा बन रही हैं। इन्हीं प्रयासों से अब नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बंदूकें छोड़कर लोग शासन के साथ कदम मिला रहे हैं।

साय ने कहा कि यह दृश्य केवल सरकारी नीति की सफलता नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के शांतिपूर्ण भविष्य की नींव है। सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है कि आत्मसमर्पित माओवादियों को पुनर्वास, सुरक्षा और उज्ज्वल भविष्य मिलेगा।

डबल इंजन सरकार की यह प्रतिज्ञा है कि छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त किया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में यह संकल्प अब साकार होता दिख रहा है।

बस्तर में आज नक्सल विरोधी अभियान को ऐतिहासिक सफलता मिली है। ‘पूना मारगेम’ कार्यक्रम के अंतर्गत दण्डकारण्य क्षेत्र के 210 माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग त्यागकर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है।

यह आत्मसमर्पण बस्तर के लिए नई सुबह है। लंबे समय से नक्सली गतिविधियों से प्रभावित अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर में यह घटना निर्णायक मोड़ साबित होगी।

मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में राज्य सरकार की व्यापक नक्सल नीति ने स्थायी शांति की नींव रखी है। पुलिस, सुरक्षा बलों, प्रशासन, सामाजिक संगठनों और नागरिकों के संयुक्त प्रयासों से संवाद और विकास की संस्कृति को बढ़ावा मिला है।

बस्तर के लिए ऐतिहासिक दिन — 153 अत्याधुनिक हथियारों के साथ आत्मसमर्पण

इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में वरिष्ठ माओवादी नेताओं ने एक साथ आत्मसमर्पण किया। आत्मसमर्पितों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार डीकेएसजेडसी सदस्य, 21 डिविजनल कमेटी सदस्य सहित अनेक वांछित नेता शामिल हैं। उन्होंने कुल 153 अत्याधुनिक हथियार जैसे AK-47, SLR, INSA राइफल, और LMG समर्पित किए हैं। यह केवल हथियार नहीं, हिंसा के युग का अंत है।

मुख्यधारा में लौटे प्रमुख माओवादी नेता

प्रमुख नामों में सीसीएम रूपेश उर्फ सतीश, भास्कर उर्फ राजमन मांडवी, रनीता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ संतू, रतन एलम शामिल हैं। सभी ने संविधान में आस्था जताते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने की प्रतिज्ञा ली।

मांझी-चालकी परंपरा से स्वागत, संविधान के प्रति निष्ठा

जगदलपुर पुलिस लाइन में हुए इस आयोजन में कैडरों का स्वागत पारंपरिक मांझी-चालकी विधि से हुआ। उन्हें संविधान की प्रति और लाल गुलाब भेंट किए गए। मांझी-चालकी प्रतिनिधियों ने कहा कि बस्तर की परंपरा प्रेम, सहअस्तित्व और शांति की रही है, और लौटे हुए साथी इसे नई शक्ति देंगे।

कार्यक्रम के अंत में सभी आत्मसमर्पित कैडरों ने संविधान की शपथ ली और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति निष्ठा जताई। ‘वंदे मातरम्’ की गूंज के साथ समापन हुआ। यह केवल आत्मसमर्पण नहीं, बल्कि विश्वास, विकास और स्थायी शांति की नई शुरुआत है।

सरकार ने पुनर्वास सहायता, आवास, आजीविका और कौशल विकास योजनाओं की जानकारी दी, और सभी को आत्मनिर्भरता के रास्ते पर आगे बढ़ाने का भरोसा दिया।

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