
रायपुर।
देश की प्रतिष्ठित निजी बैंक HDFC की रायपुर स्थित मोवा ब्रांच पर गंभीर आरोप लगे हैं। ग्राहकों ने आरोप लगाया है कि यहां बीमा पॉलिसियां और खाते जबरन खुलवाए जा रहे हैं, और एक बार पैसा जमा होने के बाद न तो पॉलिसी कैंसिल होती है, न ही पैसा वापस मिलता है। इस सबके बीच ग्राहकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
इस बैंक में ब्रांच मैनेजर प्रदीप्ता लहिरी हैं, जिनके नेतृत्व में काम कर रहीं एक्ज़िक्यूटिव्स शुरुआत में अत्यंत मधुर व्यवहार करती हैं — घर तक आने की पेशकश करती हैं, “परिवार जैसा” जुड़ाव दर्शाती हैं। सभी तरह की बैंकिंग सर्विंस घर आकर ही पूरी भी करती हैं, लेकिन जैसे ही ग्राहक बीमा या खाता ले लेते हैं, इन कर्मचारियों का व्यवहार पूरी तरह बदल जाता है।
बीमा पॉलिसी: प्यार से फंसाना, फिर फॉलो-अप में गायब.
कई ग्राहकों का आरोप है कि उन्हें जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा या इन्वेस्टमेंट पॉलिसी जैसे ULIP (Unit Linked Insurance Plan) को “सेविंग स्कीम” या “फिक्स्ड इनकम” के नाम पर बेचा गया। दस्तावेज़ों को ठीक से पढ़ने या समझाने की ज़हमत नहीं दी गई, और एक बार जब ग्राहक ने रकम जमा कर दी, तो इन फीमेल एक्जक्यूटिव का भी व्यवहार बदल जाता है, कल तक जो घर आकर सभी सर्विस दे रही थीं, अब वो ग्राहक को अपने कई दूसरे ब्रांचों में भी भ्रमण कराती हैं, जो 10-10 किलोमीटर तक दूर होते हैं ।
पैसा निकलवाना बना मानसिक उत्पीड़न का कारण
सबसे गंभीर बात ये हैं, कि जब ग्राहक इन पॉलिसियों से बाहर निकलना चाहते हैं — यानी रिफंड या सरेंडर वैल्यू मांगते हैं — तो बैंक और बीमा एजेंट्स की टीम टालमटोल करने लगती है। “कभी सिग्नेचर मेल नहीं खा रहा है, कभी डॉक्युमेंट मिसिंग है, तो कभी 10 किलोमीटर दूर दूसरी ब्रांच जाना पड़ेगा, जैसी बातें कर के ग्राहक को महीनों घुमाया जाता है,”
यह व्यवहार खास तौर पर उन बुजुर्गों और गृहिणियों के लिए मानसिक उत्पीड़न बन चुका है, जिन्होंने बैंक पर भरोसा कर के जीवन भर की बचत निवेश की।
डोरमेट अकाउंट और जबरन खुलवाए गए प्रोडक्ट्स
कुछ ग्राहकों ने बताया कि उनके नाम पर जबरन सेविंग अकाउंट या SIP (Systematic Investment Plan) शुरू कर दिए गए। अकाउंट निष्क्रिय (डोरमेट) होने पर भी बैंक ने न तो कोई अलर्ट भेजा और न ही स्वतः बंद किया। अब इन डोरमेट अकाउंट से पैसा निकलवाने के लिए Raipur का HDFC बैंक ग्राहक को अपनी अलग-अलग ब्रांचों का परिक्रमा करता है, जिससे वक्त और ग्राहक को मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती है ।
फ्री लुक पीरियड का भी उल्लंघन
भारतीय बीमा नियामक प्राधिकरण (IRDAI) के अनुसार, ग्राहक को बीमा लेने के 30 दिनों के भीतर (Free Look Period) में बिना कारण बताए पॉलिसी कैंसल करने का अधिकार होता है। लेकिन HDFC मोवा ब्रांच के ग्राहकों को पॉलिसी कैंसल कराना किसी चुनौती से कम नहीं है । जिसकी एक शिकायत भी हाल ही में की गई है ।


ऐसी स्थिति में क्या करें ?
✅ 1. HDFC बैंक में सीधे शिकायत दर्ज करें:
ऑनलाइन फॉर्म:
https://leads.hdfcbank.com/applications/webforms/apply/HDFC_CustomerCenter/Customer_Center.aspx
ईमेल:
- यदि बीमा पॉलिसी HDFC Life की है: service@hdfclife.com
- यदि बैंक अकाउंट की शिकायत है: support@hdfcbank.com
फोन:
- HDFC Customer Care (टोल फ्री): 1800 202 6161 या 1860 267 6161
👉 अपनी शिकायत का रेफरेंस नंबर ज़रूर लें।
✅ 2. बीमा नियामक प्राधिकरण (IRDAI) में शिकायत:
यदि मामला बीमा (पॉलिसी, फ्री लुक, सरेंडर) से जुड़ा है:
🔗 IRDAI Grievance Redressal Portal (IGMS):
https://www.irdai.gov.in/consumer-affairs/grievance-redressal
📧 ईमेल: complaints@irdai.gov.in
📞 टोल फ्री नंबर: 155255 या 1800 4254 732
✅ 3. बैंकिंग लोकपाल (RBI Ombudsman) से शिकायत:
अगर HDFC बैंक आपको संतोषजनक जवाब नहीं देता, या 30 दिन में कोई समाधान नहीं देता, तो आप RBI के लोकपाल से शिकायत कर सकते हैं।
🔗 RBI Complaint Management System (CMS):
https://cms.rbi.org.in
📞 हेल्पलाइन: 14448 (सुबह 9 से शाम 5 बजे तक)
✅ 4. उपभोक्ता अदालत (Consumer Court):
यदि उपरोक्त सभी प्रयासों के बावजूद समस्या बनी रहती है और नुकसान हुआ है, तो आप उपभोक्ता आयोग (Consumer Forum) में केस दर्ज कर सकते हैं।
🔗 https://edaakhil.nic.in (ऑनलाइन शिकायत दायर करें)
➡ आप ज़िला स्तर पर उपभोक्ता फोरम में ₹5 लाख तक के नुकसान के लिए आवेदन कर सकते हैं।
✅ 5. सोशल मीडिया दबाव भी बनाएं
- @HDFCBank_Cares (Twitter/X)
- @HDFCLIFE
- #HDFCBankFraud / #InsuranceScam जैसे हैशटैग से ट्वीट करें
- पोस्ट को IRDAI और RBI India को टैग करें
📌 ज़रूरी सुझाव:
- हर बार अपनी शिकायत लिखित में करें या स्क्रीनशॉट लें
- अकाउंट नंबर, पॉलिसी नंबर, और तारीखें/रिकॉर्ड्स ज़रूर रखें
- धैर्य और फॉलोअप बनाए रखें — लेकिन कानूनी हक कभी न छोड़ें
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