नईदिल्ली : विपक्षी नेताओं की पहली औपचारिक मीटिंग आज, समर्थन में सांसदों से कराए हस्ताक्षर

नई दिल्ली : देश के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग लाने के प्रस्ताव पर विपक्षी दलों की सोमवार को पहली औपचारिक मीटिंग होगी। संसद में होने वाली इस मीटिंग में विपक्षी नेता तय करेंगे कि चीफ जस्टिस के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए कौन से कदम उठाए जाएं। कांग्रेस की अगुवाई में एकसमान सोच वाले विपक्षी दलों ने महाभियोग प्रस्ताव के लिए सांसदों से दस्तखत करा लिए हैं। उसके बाद यह इन नेताओं की पहली औपचारिक बैठक होगी।
इन दलों ने पांच पन्नों के अपने प्रस्ताव में पांच आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि चीफ जस्टिस संवेदनशील मामलों को सुनवाई के लिए जजों के पास भेजने में अपने अधिकार का मनमाना इस्तेमाल करते हैं और सीनियर जजों को नजरंदाज करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि हाल में सरकार के लिए बड़े महत्व के एक न्यायिक आदेश की तारीख बदलने में जालसाजी की गई। उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रसाद मेडिकल कॉलेज मामले में भ्रष्ट तरीका अपनाया गया। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि एक भूखंड हासिल करने में चीफ जस्टिस का बर्ताव ठीक नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट की स्वतंत्रता से समझौता किया गया है।
राज्यसभा में न मिली मंजूरी तो सुप्रीम कोर्ट जाएगी कांग्रेस?
विपक्षी दलों के इस प्रस्ताव को राज्यसभा में लाने है या नहीं, इस पर फैसले का विशेषाधिकार राज्यसभा के चेयरमैन के पास है। कांग्रेस के रणीतिकारों का कहना है कि यदि उप-राष्ट्रपति की ओर से महाभियोग प्रस्ताव को खारिज किया जाता है तो फिर पार्टी शीर्ष अदालत का रुख कर सकती है।
संदेह के आधार पर महाभियोग नहीं लगाया जा सकता
इस बीच कानूनी जानकारों का कहना है कि सिर्फ संदेह के आधार पर चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग नहीं लाया जा सकता। देश के सॉलिसिटर जनरल और कर्नाटक के लोकायुक्त रह चुके एन. संतोष हेगड़े ने कहा, संदेह के आधार पर महाभियोग नहीं लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा, यह बात ध्यान रखनी होगी कि महाभियोग बेहद गंभीर मुद्दा है। केवल शक के आधार पर यह प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है।