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हम मर्द बनने की कोशिश क्यों करें? : आहना कुमरा

नवाबों के शहर लखनऊ से मायानगरी मुंबई आकर किस्मत आजमाने वाली अभिनेत्री आहना कुमरा ने धीरे-धीरे यहां अपना एक मुकाम हासिल कर लिया है। पिछले दिनों फिल्म लिपस्टिक अंडर माय बुर्का में अपने अभिनय के लिए उन्होंने वाहवाही बटोरी, तो अगली फिल्म द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर में प्रियंका गांधी का रोल करने को लेकर भी सुर्खियों में हैं, इस बीच पर टीवी शो रेडी टु मिंगल में भी नजर आने वाली हैं:

 आहना ने फिल्मों में हाथ आजमाने का फैसला किया?

लखनऊ में मेरी मां पुलिस विभाग में थीं लेकिन काफी समय पहले हम मुंबई शिफ्ट हो गए। ममी यहां सीबीआई में थीं। फिर वह यूपी में डेप्युटी सुप्रिंटेंडेंट ऑफ पुलिस रहीं। ऐक्ट्रेस बनने का ख्वाब मेरा हमेशा से था, लेकिन जब आप ऐसी फैमिली से होते हैं तो किसी से बोल नहीं पाते, क्योंकि मेरे दोनों पैरंट्स कट्टर वर्किंग हैं तो यही रहा कि पढ़ाई कर लो और नौकरी कर लो। मैंने लखनऊ में कभी ड्रामा वगैरह नहीं किया था लेकिन मुंबई आकर एक बदलाव आ गया। मुंबई में मैं अपने स्कूल की स्टार बन गई थी। यहां मैं स्कूल की कोरियॉग्रफर थी, नाटक डायरेक्ट कर रही थी।

यूपी में डेप्युटी सुप्रिंटेंडेंट ऑफ पुलिस रहीं।

अचानक से एक फ्रीडम आ गई। मुझे याद है कि मैंने अपनी बेस्ट फ्रेंड को जो पहला लेटर लिखा था, उसमें मैंने सबसे पहले यही लिखा था कि यार, मैं यहां पर 9 बजे तक बाहर खेल सकती हूं, वह भी लडक़ों के साथ। मुझे बहुत अच्छा लगा था कि ममी नहीं बोल रही हैं कि 5 बजे घर आ जाओ। फिर, मैंने पृथ्वी थिअटर जॉइन किया। उसके बाद तो मैं इंडस्ट्री में ही बढ़ती गई। बैकस्टेज किया, ऐक्टिंग कोर्स किया। सब किया। आपने टीवी शो युद्ध से करियर शुरू किया। पहली फिल्म सोना स्पा की। ऐसा लगा था कि करियर शुरू करने के लिए ये सही चॉइस हैं?

एक बहुत सिंपल सी बात है कि जब आप फिल्मी फैमिली से नहीं होते हैं, तो आपके पास चॉइस नहीं होती। आपको जो काम मिलता है, वह आप करते हैं। मैंने फिल्म इंस्टीट्यूट से निकलकर कास्टिंग का काम किया। असिस्टेंट डायरेक्टर का काम किया, क्योंकि मुझे काम नहीं मिला। आप मोहताज होते हैं कि आपको जो भी काम मिल जाएगा, वह आप कर लेंगे। मेरे मां-बाप प्रड्यूसर नहीं है। मैं किसी स्टार की बेटी नहीं हूं, तो आपको वह ट्रीटमेंट कभी नहीं मिलेगा। मुझे लगता है कि चॉइसेस सिर्फ उनको मिलती हैं, जिनके मां-बाप तय करते हैं कि बेटा तुम यह नहीं कर सकती, तुम यह नहीं खाओ। हमारे साथ नहीं होता है यह सब।

हमारे लिए यह है कि जो काम मिलता है, उसे लो और निडर होकर काम करो। काम के जरिए ही तुम्हें काम मिलेगा। रोज तुम्हें कोई बोलेगा कि तुम मोटी हो, तुम पतली हो, तुम्हारी नाक बहुत लंबी है, तुम बुरी दिखती हो। तुम उन सबको पूरी तरह से नजरअंदाज करके, जो तुम्हें सही लगता है, वह करो। मुझे जो काम मिला, मैंने कभी मना नहीं किया। इसीलिए मैंने हर माध्यम में काम किया। मैंने फिल्मों में काम किया है, टीवी में काम किया है, वेब सीरीज में काम किया है, थिअटर किया है, प्रॉडक्शन से लेकर असिस्टेंट तक सब काम किया है।
इस संघर्ष में कभी निराशा वाला दौर भी आया क्योंकि बहुत से लोग ऐसे टूट जाते हैं?

लोग टूट जाते हैं, क्योंकि बहुत से लोग आपको तोड़ देते हैं। इतने सारे लोग आपको इतनी सारी चीजें कहते हैं। ऐसा रोज ही होता है कि लगता है कि छोड़ दें क्या? कुछ और ही कर लें, क्योंकि बहुत बार यह भी होता है कि आपको कोई रोल मिला और फिर किसी का कॉल आ गया और प्रड्यूसर की बच्ची को वह रोल मिल गया। मेरे साथ ऐसा हुआ है। आपको काम देकर भी आपके हाथ से काम छीन लिया जाता है। यह हम जैसे लोगों के साथ ज्यादा होता है, क्योंकि हमारी कोई सिफारिश नहीं करता। ऐसे में परिवार और दोस्तों का साथ और खुद पर भरोसा रखना जरूरी है।

लिपस्टिक माय बुर्का के लिए आपको काफी तारीफें मिलीं। आप मानती हैं कि यह फिल्म आपके लिए टर्निंग पॉइंट रही?
बिल्कुल, मैं लिपस्टिक… को अपने लिए एक टर्निंग पॉइंट मानती हूं। न सिर्फ करियर के लिए, बल्कि एक औरत के रूप में भी मेरे लिए यह बहुत महत्वपूर्ण फिल्म है। इसके बाद मैंने औरत की तरह सोचना शुरू किया। मैंने सोचा कि क्यों मैं लडक़े की तरह सोचती हूं या क्यों मैं लडक़ा बनने की कोशिश कर रही हूं? मैं एक औरत हूं और मुझे औरत की तरह ही अपनी जिंदगी जीनी है। मुझे किसी को कुछ प्रूव करने की जरूरत नहीं है। औरतों के अंदर एक कंडीशनिंग होती है। औरतें मर्दों से तीन गुना ज्यादा काम करती हैं। उनमें ऐसा होता है कि मैं यह भी कर लूंगी, वह भी कर लूंगी, सिर्फ यह पॉइंट प्रूव करने के लिए कि तुम आदमी हो तो क्या, मैं कम नहीं हूं। मुझे अहसास हुआ कि हमें पॉइंट प्रूव करने की जरूरत नहीं है। फिजिकली हम मर्दों जैसे नहीं बने। हम अलग हैं। हमें औरतों की तरह सोचना चाहिए। कहीं न कहीं इस रेस में मैं भूल गई थी कि मैं एक औरत हूं और मैं अपने को एक औरत की तरह ट्रीट ही नहीं करती हूं। इसीलिए, यह मेरी लाइफ का एक टर्निंग पॉइंट है।

टीवी शो रेडी टू मिंगल करने की क्या वजह रही?

रेडी टू मिंगल ऐसे लोगों के बारे में हैं, जो मिंगल होना चाहते हैं, तो एक कपल है माहिरा और नीरव, जो ऐसी जोडिय़ों की मदद करते हैं। पार्टी ऑर्गनाइज करते हैं, जहां ये जोडिय़ां मिल सकते हैं। मेरे लिए सबसे एक्साइटिंग यह रहा कि मैंने इसमें अपना लुक चेंज किया है। काफी समय से मैंने बाल नहीं कटाए थे। इसके लिए मैंने बाल कटा दिए। बालों का रंग भी बदला है। जब आप एक लुक बदलते हैं, तो आपको अलग फील भी होता है।

वरना, हम भारतीय हीरोइनों का क्या होता है कि हम थोड़ा अटक जाते हैं, लंबे बालों को लेकर कि छोटे बालों में हेयरस्टाइल नहीं कर सकते। लेकिन मुझे लगता है कि अभी एक्सपेरिमेंट नहीं करूंगी, तो कब करूंगी। आप अपने शो रेडी टु मिंगल में जोडिय़ों को मिला रही हैं। खुद मिंगल होने के लिए कितनी रेडी हैं? हां, हां बिल्कुल रेडी हूं (हंसती हैं)। नहीं, मैं बिल्कुल रेडी नहीं हूं। मैं अपनी टीम के लोगों के साथ मिंगल होकर ही खुश हूं। हमारी टीम बहुत यंग है, उनके साथ काम करने का अलग मजा होता है।

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