सीएम शिवराज के लिए खतरे की घंटी, क्या उनसे नाराज है पार्टी नेतृत्व ?
बुधवार को गुजरात में हुए रुपाणी के शपथ ग्रहण समारोह और हिमाचल में भाजपा की बड़ी जीत के बाद जयराम ठाकुर की ताजपोशी जाहिर ये दोनों ही कार्यक्रम भाजपा के लिए काफी अहम थे, और वैसे भी भाजपा किसी छोटे काम को भी बड़ा चढ़कर पेश करने का हुनर जानती है, लेकिन इन दोनों जगह सरकार बनने के बाद शपथ ग्रहण समारोह जाहिर तौर पर भाजपा के लिए काफी अहम था क्योंकि देश में उसकी बढ़ती ताकत दिखाने के लिए, हर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों का मंच पर होना जरूरी था और वैसा हुआ भी, कई सालों बाद नरेंद्र मोदी से कड़वाहट मिटाने और लालू का हाथ छिटकर भाजपा के साथ सरकार बनाने वाले नितीश कुमार भी वहां पहुंच गए, लेकिन सबकी निगाहें एक शख्स को ढूंढ रही थीं, चलिए अगर सबकी न भी लिखें तक कम से कम एमपी के लोग जरूर अपने सीएम को उन दोनों ही मंच पर खोज रहे थे जहां भाजपा का ये मेगा शो यानी की शपथ ग्रहण समारोह चल रहा था, लेकिन वो कहीं नजर ही नहीं आए ।
गुजरात गए, लेकिन मंच पर नहीं ?
ऐसा नहीं था कि शिवराज सिंह चौहान गुजरात नहीं गए थे वे वहां गए भी और रूपाणी से मिले भी लेकिन महज उन्हें शुभकामनाओं के साथ गुलदस्ता भेंट किया और वापस लौट आए, बताया गया कि उनका कार्यक्रम पहले से तय था इसलिए वे शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुए, लेकिन सवाल ये है कि जब पूरी भाजपा के मुख्यमंत्री वहां अपना-अपना काम निपटाकर पहुंचे तो आखिर शिवराज सिंह ऐसा क्यों नहीं कर सके ।
उपचुनाव का बताया वजह
बताया गया कि कोलारस और मुंगावली में होने वाले चुनाव की वजह से सीएम शिवराज वहां नहीं दिखे, लेकिन सवाल ये भी है कि इन दिनों ही सीटों पर फिलहाल चुनाव की तारीखों की घोषणा भी नहीं हुई है और शिवराज सिंह ओरछा, रीवा के दौरे पर हैं तो आखिर वो कुछ वक्त निकालकर क्यों इन दिनों जगह शामिल नहीं हो सके, वो भी तब जब भाजपा और उसके सहयोगी दलों का करीब करीब हर बड़ा नेता वहां मौजूद था ।
क्या पार्टी में चल है बड़ी उठा-पटक ?
जाहिर है ये सवाल हर किसी के दिमाग में चल रहा है कि आखिर ऐसी कौन सी वजह थी जो शिवराज सिंह इन दोनों ही आयोजनों से दूर रहे या यूं कहें कि उन्हें दूर रखा गया, सवाल इसलिये भी अहम है क्योंकि अगले साल ही एमपी में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं और भाजपा नहीं चाहेगी की वो मध्यप्रदेश जैसी बड़ी स्टेट में कोई भी रिस्क ले, लेकिन सीएम शिवराज का इन शपथ ग्रहण समारोह में न होना ये इशारा जरूर करता है कि पार्टी में कहीं नहीं उठा-पटकर जरूर चल रही है, क्योंकि ये नहीं कहा जा सकता कि, भाजपा जैसी बड़ी पार्टी और अमित शाह जैसे उस पार्टी के चतुर अध्यक्ष, इस बात अनजान होंगे कि, मध्यप्रदेश के सीएम का गुजरात और हिमाचल में शपथ ग्रहण समारोह न दिखना कोई मुद्दा नहीं बनेगा ।