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नईदिल्ली : हिंसक प्रदर्शनों में 10 लोगों की मौत, हालात तनावपूर्ण, कई गाडिय़ों में लगाई आग

नई दिल्ली :  दलित संगठनों द्वारा सोमवार को बुलाए गए भारत बंद के दौरान भडक़ी हिंसा में मरनेवालों की संख्या बढक़र 10 हो गई है। अकेले मध्य प्रदेश में ही 6 लोगों की जान चली गई। उत्तर प्रदेश में 2 और राजस्थान में एक व्यक्ति की मौत हो गई है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और झारखंड के कई जिलों में बंद के दौरान भारी हिंसा हुई। इस दौरान न सिर्फ सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया बल्कि आम लोगों के वाहनों में भी तोडफ़ोड़ की गई। झड़प में कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए हैं। देशभर में हजारों लोगों को हिरासत में लिया गया है।
आपको बता दें कि यह बंद अनुसूचित जाति एवं जनजाति ऐक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के विरोध में बुलाया गया था, जिसके तहत कोर्ट ने तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले मामलों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दे दी है।
शीर्ष अदालत ने कहा है कि इस कानून के तहत दर्ज मामलों में ऑटोमेटिक गिरफ्तारी की बजाय पुलिस को 7 दिनों के भीतर जांच करनी चाहिए और फिर ऐक्शन लेना चाहिए। यही नहीं, अदालत ने कहा है कि सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी अपॉइंटिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती है। गैरसरकारी कर्मी की गिरफ्तारी के लिए एसएसपी की मंजूरी जरूरी होगी। इस फैसले से दलित समुदाय नाराज हो गया और दलित संगठनों ने मिलकर सोमवार को भारत बंद बुलाया।
पीएम में सबसे ज्यादा मौतें, मेट्रो पार्किंग भी चपेट में
मध्य प्रदेश के ग्वालियर और मुरैना में हुई हिंसा में 5 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। यूपी में आजमगढ़, इलाहाबाद, मुगलसराय, मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, आगरा में हिंसा हुई और जानमाल को नुकसान पहुंचाया गया। कई जिलों में ट्रेनें रोक दी गईं और सडक़ों को जाम कर दिया गया। आजमगढ़ में सरकारी बसों को फूंक दिया गया।
अकेले मेरठ में 200 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है। वहीं, झारखंड के रांची में 763 लोगों को हिरासत में लिया गया है। राजस्थान के अलवर और गुजरात के सारंगपुर में भी काफी उपद्रव हुआ है। हरियाणा के यमुनानगर में पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। दिल्ली-गाजियाबाद रोड पर एम्स के डॉक्टर्स और नर्सों से भरी बस पर भी पथराव किया गया। दिल्ली के कनॉट प्लेस में भी प्रदर्शन हुआ है। फरीदाबाद में मेट्रो स्टेशन की पार्किंग में भी उपद्रवियों ने तोडफ़ोड़ की।
यूपी हाई अलर्ट पर, हिंसा से आहत अफसर का इस्तीफा
यूपी के डीआईजी (लॉ ऐंड ऑर्डर) ने बताया कि भारत बंद के दौरान कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। स्थिति पर काबू पा लिया गया है। हालांकि सभी जिलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। उन्होंने कहा कि हमें जहां भी जरूरत महसूस हुई, हमने लाठीचार्ज किया और वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया।
उन्होंने कहा, सोशल मीडिया पर अफवाह फैलानेवाले लोगों की जांच होगी। 448 लोगों को हिरासत में लिया गया है। राज्य का सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सा ही हिंसा की चपेट में था बाकी 90 प्रतिशत क्षेत्रों में शांति थी। वहीं, उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस अधीक्षक डॉ. बीपी अशोक ने भारत बंद के दौरान हुई हिंसा से आहत होकर इस्तीफा दे दिया। यूपी के कई जिलों में हालात काफी तनावपूर्ण हैं। आगरा में कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक के सभी स्कूल मंगलवार को बंद रहेंगे। जिन स्कूलों में बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं, वे खुले रहेंगे।
गृह मंत्रालय सक्रिय, केंद्रीय सुरक्षाबल रवाना
हालात नियंत्रण से बाहर होता देख मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पंजाब ने केंद्रीय बल भेजने का अनुरोध किया। इसके बाद इन राज्यों में रैपिड ऐक्शन फोर्स और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल रवाना कर दिए गए। यूपी और एमपी में आरएएफ के 800 जवानों को भेजा गया है। आरएएफ की दो कंपनियां मेरठ और 1-1 कंपनियां आगरा व हापुड़ के लिए रवाना की गई हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय देश में पैदा हुई स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
कांग्रेस ने सरकार पर फोड़ा ठीकरा
इस बीच, दलित प्रदर्शन के दौरान हिंसा को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस पार्टी ने इसके लिए सीधे तौर पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खडग़े ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस मुद्दे पर सरकार ने जानबूझकर देरी की। कांग्रेस पार्टी ने कहा कि सरकार चाहती तो संसद में संशोधन लाकर उसे वैसे ही पारित करवा लेती जैसे उसने वित्त विधेयक को पारित करवाया। पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार ने मामले को हल्के में लिया।
आंदोलन को माया का समर्थन
उधर, बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा, मैं एससी/एसटी आंदोलन का समर्थन करती हूं। मुझे पता चला है कि कुछ लोग इस आंदोलन में हिंसा कर रहे हैं, मैं उसकी निंदा करती हूं। इस हिंसा के पीछे हमारी पार्टी का हाथ नहीं है।

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