छत्तीसगढ़

मनरेगा से निर्मित कुएं से बदली पटेल परिवार की तकदीर व तस्वीर

धमतरी, 10 मार्च 2022

सब्जियों की पैदावार में हुई वृद्धि, कुंआ बना आय का सशक्त जरिया

आर्थिक रूप से कमजोर तबके और निम्न आय वाले परिवारों के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम वरदान साबित हुई है। ऐसे कई उदाहरण हैं जो यह बताते हैं कि महात्मा गांधी नरेगा से आमदनी के साथ-साथ सृजनात्मक कार्य भी हो रहे हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है कुरूद विकासखण्ड के ग्राम चर्रा का है जहां मनरेगा के तहत बनाए गए कुएं से हितग्राही मालती पटेल और उनके परिवार की तकदीर व तस्वीर बदल गई। कुंए के निर्माण के बाद पटेल परिवार आज अपने 60 डिसमिल खेत में सब्जी की पैदावार लेकर सम्मानजनक आय अर्जित कर रहा है।

़इस संबंध में बताया गया कि कुआं बनने से पहले मालती पटेल अपने पति शत्रुहन पटेल के साथ मिलकर 60 डिसमिल खेत में सब्जी उगाकर जैसे-तैसे परिवार चलाती थीं। तब सिंचाई का साधन नहीं होने से वे केवल बारिश के मौसम में सब्जियां उगाकर बमुश्किल 5-6 हजार रूपए कमा पाते थे। मनरेगा श्रमिक मालती ने बताया कि मनरेगा के तहत निर्मित कुएं से उनकी जिंदगी बदल गई है। इसकी बदौलत उनका परिवार तेजी से कर्जमुक्त होने की राह पर है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2015-16 में आवास स्वीकृत हुआ था, किन्तु उस जगह पर बड़े-बड़े गड्ढे थे, जिसमें मुरूम और मिट्टी भराई का कार्य करने के लिए कर्ज लेना पड़ गया, क्योंकि आवास की राशि 1.20 लाख रूपए में पूरे मकान को तैयार करना नामुमकिन था। इसी दरम्यान पति की तबीयत खराब हो गई जिनके उपचार के लिए भी कर्ज पर रकम लेनी पड़ी। एक तरफ कर्ज के ब्याज की राशि बढ़ रही थी, तो वहीं दूसरी ओर पूरे परिवार के गुजर-बसर की जिम्मेदारी आन पड़ी। पटेल ने बताया कि इसी बीच ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक से मनरेगा के बाड़ी में कुआं निर्माण के बारे में पता चला, तो उन्होंने तत्काल कूप निर्माण के लिए अर्जी दे दी। कार्य स्वीकृत होने के उपरांत दिसंबर 2019 में खुदाई का काम शुरू हो गया जो छह महीनों में बनकर तैयार हो गया। भाग्य ने भी ऐसा साथ दिया की सात फीट की गहराई में ही पानी आना शुरू हो गया था। खुदाई पूरी होते तक कुआं पानी से लबालब हो गया। अब वे अपनी 60 डिसमिल की बाड़ी में टमाटर, मिर्च, धनिया, गोभी, सेमी, बैंगन, मूली, लौकी सहित विभिन्न प्रकार की भाजियांे की पैदावार ले रही हैं। बाड़ी में सब्जियों की पैदावार बढ़ने से आय में भी काफी वृद्धि हुई। परिवार की आय पांच हजार रूपए से बढ़कर 8-9 हजार रूपए प्रतिमाह हो गई। साथ ही पति का सही ढंग से उपचार कराने में भी वह सक्षम हो गईं और धीरे-धीरे कर्ज की राशि की अदायगी कर रही हैं। इस प्रकार मनरेगा से कुआं बनने से पूरे परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो गई और वह स्वावलम्बन और आत्मनिर्भरता की ओर सतत् आगे बढ़ने में सक्षम हो गई हैं। वह कहती हैं कि अगर प्रतिकूल दौर में कुएं का निर्माण नहीं होता तो उनका परिवार आर्थिक बोझ से शायद ही उबर पाता।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button