भारतीय जनता पार्टी को संगठन की पार्टी माना जाता रहा है. साथ ही यह माना जाता रहा है कि जो भी फैसला होता है वह सर्वमान्य होता है. छत्तीसगढ़ में हार के साथ ही इस पार्टी की तासीर भी बदली है. बीजेपी में अब ऑल इज नॉट वेल की स्थिति है. विधानसभा के रिजल्ट ने तो बता ही दिया. तस्वीर और साफ हुई नेता प्रतिपक्ष के चुनाव में. पांच मिनट में नेता प्रतिपक्ष के चयन के दावों के बीच बीजेपी को ढाई घंटे तक मशक्कत करनी पड़ी.
भाजपा आलाकमान द्वारा जैसे ही धरमलाल कौशिक को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया, वैसे ही विधायक व पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के समर्थकों का गुस्सा सोशल मीडिया में खुलकर सामने आ गया. बृजमोहन अग्रवाल के मीडिया प्रभारी देवेन्द्र गुप्ता ने ब्रेकिंग न्यूज की तरह लिखा कि ‘रमन सिंह के गुलाम धरमलाल कौशिक बने नेता प्रतिपक्ष.’ इसके बाद एक और पोस्ट कर देवेन्द्र ने लिखा- ‘छत्तीसगढ़ में भाजपा की हार के असली गुनहगार धरमलाल कौशिक बने नेता प्रतिपक्ष.’
यह नाराजगी तो बीजेपी दफ्तर में नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा के बाद ही सामने आ गई थी, जब धरमलाल कौशिक को हार पहनाए जा रहे थे और सबसे पहले बाहर निकल आए थे बृजमोहन अग्रवाल और विधायक अजय चंद्राकर. बृजमोहन अग्रवाल खुलकर स्वीकार करते हैं कि नाराजगी है. वहीं ननकीराम कंवर भी साफगोई से कहते हैं कि उन्होंने अपनी दावेदारी की थी. हालांकि पार्टी हाईकमान पहले से तय करके बैठा था तो सर्वसम्मति बन गई.
वहीं केंद्रीय पर्यवेक्षक अनिल जैन कहते हैं कि कोई तनातनी नहीं है. हालांकि जब उनसे पूछा जाता है कि ढाई घंटे क्यूं लगे तो जवाब में उन्होंने कहा कि सभी विधायकों से वन टू वन चर्चा की गई, इसलिए समय लगा. बहरहाल जाहिर तौर पर आने वाले समय में बीजेपी के असंतोष अभी खुलकर सामने आएंगे. लोकसभा चुनाव के पहले यदि यह शांत नहीं हुआ तो मुश्किलें कम नहीं होंगी