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प्रदेश में क्यों बेकाबू हुआ ‘स्वाइन फ्लू’ ?

  • पूरी तरह से स्वाइन फ्लू की जकड़ में आ चुके प्रदेश में सरकार द्वारा प्रारंभिक स्तर पर इसे हल्के में लेना अब भारी पड़ रहा है.
  • मामले को लेकर सरकार जब तक गंभीर हुई तब तक कई लोग स्वाइन फ्लू की चपेट में आ चुके थे.
  • सरकार ने जब इसकी रोकथाम के लिए गंभीरता से प्रयास शुरू किए तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
  • यही नहीं सरकार के प्रयास भी शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित रहे, ग्रामीण क्षेत्रों पर सरकार का ध्यान कम रहा, जिसका नतीजा सामने है.
  • प्रदेश में नए साल में गत 16 दिनों में 39 स्वाइन फ्लू पीड़ित अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं.
  • स्वाइन फ्लू पीड़ितों का आंकड़ा निरंतर बढ़कर करीब एक हजार तक जा पहुंचा है. 16 जनवरी तक प्रदेश में स्वाइन फ्लू के 971 पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं.
  • हैरान करने वाली बात यह है कि इसमें से सर्वाधिक पॉजीटिव केस राजधानी जयपुर में सामने आए हैं, जहां पूरी सरकार बैठती है. अब तक सर्वाधिक 378 स्वाइन फ्लू पॉजिटिव केसेज जयपुर में सामने आए हैं.
  • जबकि शुरुआत में स्वाइन फ्लू का प्रभाव सीएम अशोक गहलोत के गृह संभाग जोधपुर में और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के गृह संभाग कोटा में ज्यादा था.
  • स्वाइन फ्लू से सर्वाधिक 13 मौतें भी जोधपुर में हुई हैं.
  • अब भले ही स्वास्थ्य विभाग चला रहा डोर-टू-डोर सर्वे अभियान चलाने का दावा कर रही है, लेकिन स्वाइन फ्लू काबू में नहीं आ रहा है.

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