रायपुर। छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं जिसको लेकर भाजपा और कांग्रेस ने कमर कस ली है. ऐसा कहा जाता है कि जिस तरह दिल्ली की गद्दी का रास्ता यूपी से होकर जाता है. उसी तरह छत्तीसगढ़ में सत्ता का रास्ता बस्तर से होकर जाता है. तो आइए इस क्षेत्र पर एक नजर डालते हैं. छत्तीसगढ़ पांच संभाग में बंटा है जिसमें से एक संभाग बस्तर है. बस्तर का नाम सुनते ही लोगों के जेहन में नक्सली शब्द गूंजने लगता है.
नक्सल बेल्ट कहे जाने वाले बस्तर में विधानसभा की 12 सीट हैं जिसे जीतने के लिए भाजपा और कांग्रेस अपना पूरा जोर लगा रही है. साल 2018 के चुनाव पर नजर डालें तो बस्तर की 12 सीटें कांग्रेस के खाते में गयी थी और उसने प्रदेश में सरकार का गठन किया था. जहां इस बार के चुनाव में भी बस्तर की 12 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस जीत के लिए पूरी तरह से निश्चिंत नजर आ रही है. वहीं भाजपा भी इस चुनाव में इन सभी 12 सीटों पर ‘हमारा’ का नारा लगाकर कांग्रेस के इस किले को ढहाने का दावा कर रही है.
ऐसा माना जाता है कि छत्तीसगढ़ की सत्ता पाने की सीढ़ी बस्तर से ही चढ़ी जाती है. विधानसभा चुनाव में बस्तर की 12 विधानसभा सीटें बहुत ही खास होती है. यही वजह है कि चुनाव के पहले चरण में सबसे पहले बस्तर में चुनाव संपन्न कराया जाता है. इन 12 सीटों को जीतने के लिए सभी दल पसीना बहाते दिखते हैं. साल 2018 के चुनाव में बस्तर की सभी 12 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया था.
भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस भी बस्तर की सभी 12 विधानसभा सीट पर जीत दर्ज करने का दावा कर रही है. बस्तर के नेता और प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने इस संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि
भाजपा के शासन में बस्तर का जो विकास 15 साल में नहीं हो पाया, कांग्रेस सरकार ने 5 साल के कार्यकाल में उसे करके दिखाया है और जनता का विश्वास जीता है. उन्होंने कहा कि इस संभाग में कांग्रेस सभी सीटों पर जीतेगी और प्रदेश में हमारी पार्टी ही सरकार बनाएगी.
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