विदेश

टोक्यो : जापान में 5.3 तीव्रता का भूकंप

टोक्यो  : जापान में गुरुवार को रिक्टर पैमाने पर 5.3 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप के कारण फिलहाल किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं आई है। मौसम विज्ञान एजेंसी ने सुनामी की कोई चेतावनी भी जारी नहीं की है।
जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी के अनुसार, भूकंप का केंद्र कांटो क्षेत्र में टोक्यो के पूर्व में स्थित शीबा में जमीन के भीतर 50 किलोमीटर की गहराई में था।

भूकंप जापान के स्थानीय समयानुसार अपराह्न 12.12 बजे के आसपास पर आया

सूत्रों ने बताया कि भूकंप के बाद सुनामी की कोई चेतावनी या दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। जापान के परमाणु मामलों की निगरानी करने वाले विभाग ने भी देश के परमाणु केंद्रों में किसी प्रकार की विषमता की कोई खबर नहीं दी है।

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 2 किंशासा : कोंगो में एबोला संक्रमण का पहला मामला, नए खतरे की चेतावनी

किंशासा/जिनेवा : कोंगो के उत्तर पश्चिमी शहर मबानदाका में घातक विषाणु एबोला के पहले संक्रमण की पुष्टि हो जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग चौकन्ना हो गया है और इसे नए दौर के संक्रमण के तौर पर देखा जा रहा है। देश में दूरदराज के क्षेत्रों में इस विषाणु के संक्रमण से अब तक 23 लोगों की मौत हो गई है लेेकिन शहरी क्षेत्र में संक्रमण का यह पहला मामला है।

इसे इसलिए भी काफी खतरनाक माना जा रहा है क्योंकि इस शहर की आबादी दस लाख से अधिक है और यह भीड़ वाला क्षेत्र है जहां अधिक जनसंख्या है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात को लेकर चिंतित है कि अगर शहर में इस विषाणु का संक्रमण फैलना शुरू हो जाता है तो इसे रोकना काफी मुश्किल हो जाएगा।

घातक विषाणु एबोला के पहले संक्रमण की पुष्टि हो जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग चौकन्ना हो गया है

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी शहर में इस विषाणु के संक्रमण पर चिंता जताते हुए कहा कि इसकेे प्रसार को रोकना काफी कठिन काम होगा। यह शहर कोंगो नदी के किनारे बसा है जहां से लोग राजधानी किंशासा में व्यापार और यातायात के लिए जाते हैं स्वास्थ्य मंत्री ओली इलुंगा कालेंगा ने एक बयान में कहा कि हम एबोला संक्रमण के एक नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं जो तीन क्षेत्रों को एक साथ प्रभावित कर रहा है।

इसके बाद से ही महामारी विशेषज्ञों की टीम ने इस क्षेत्र में जाकर लोगों की जांच करनी शुरू कर दी है। कोंगों में एबोला विषाणु का पहला संक्रमण एबोला नदी के किनारे वाले क्षेत्रों में 1970 के दशक में हुआ था और इस बार यह नौंवा संक्रमण हैं। यह विषाणु काफी घातक माना जाता है और प्रभावित व्यक्ति के शरीर में आंतरिक तथा बाहरी रक्तस्राव होने से दर्दनाक मौत होती है। यह विषाणु आपसी संपर्क से फैलता है।

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