
रायपुर । छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के 22 साल पूरे होने पर 1 नवंबर से राज्योत्सव का आयोजन किया गया है। रायपुर के साइंस कॉलेज ग्राउंड में 1 से 3 नवम्बर तक आदिवासी नृत्य महोत्स्व का भी समारोह हुआ जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ ही तमाम कैबिनेट मंत्री और विधायक शामिल हुए यहाँ तक कि 3 नवम्बर को आदिवासी नृत्य महोत्स्व के अंतिम दिन झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमत सोरेन को भी बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया था। लेकिन इस पूरे अयोजन से नदारद नज़र आए प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव। इसके पीछे की जो वजह सामने आई है उसकी शुरुआत टीएस सिंहदेव के विधानसभा क्षेत्र अंबिकापुर से मानी जा रही है।
दरअसल रायपुर की तर्ज पर अंबिकापुर में भी राज्योत्सव समारोह का आयोजन किया गया। यहाँ जब उद्घाटन सत्र शुरू हुआ तब जिला प्रशासन ने मंच पर अतिथियों के लिए गिनकर 25 कुर्सियां लगवाईं थीं। इतने में संसदीय सचिव पारसनाथ राजवाड़े अपने समर्थकों के साथ मंच पर पहुंचे और साड़ी कुर्सियां भर गईं। वहीं टीएस बाबा के समर्थकों को बैठने के लिए जगह तो दूर बल्कि मंच से स्वास्थ्य मंत्री का नाम भी नहीं पुकारा गया। इसी घटनाक्रम से स्वास्थ्य मंत्री की नाराज़गी सामने आई। उन्होनें इस घटना को जिला प्रशासन का अपरिपक्व और नासमझ रवैय्या करार दिया।
टीएस सिंहदेव के मुताबिक मंच पर जूनियर लीडर्स को जगह दी गई थी। उन्होंने राज्योत्सव कार्यक्रम में कांग्रेस के पदाधिकारियों को तवज्जो नहीं देने पर उन्होंने जिला प्रशासन को खूब खरी खोटी सुनाई है. इससे टी एस सिंहदेव के समर्थक कांग्रेसी नाराज हो गए और नीचे जगह बनाकर बैठ गए. लेकिन जब मंच से सरकार की उपलब्धि गिनाई गई तो क्षेत्र के स्थानीय विधायक टी एस सिंहदेव का नाम एक बार भी नहीं लिया गया. इससे कांग्रेसी बेहद नाराज हो गए और मुख्य अतिथि से सवाल पूछने लगे लेकिन उन्होंने बिना जवाब दिए वहां से निकल गए।
आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है कि राज्योत्सव को लेकर ऐसा विवाद हुआ हो इसके पिछले साल भी जब सरगुजा में मनेंद्रगढ़ के विधायक डॉ विनय जायसवाल को मुख्य अतिथि बनाया गया है. इस समय कांग्रेस संगठन ने पूरे आयोजन से ही दूरी बना ली थी. इस साल भी जिला प्रशासन की गड़बड़ियों के कारण राज्योत्सव हंगामे को भेंट चढ़ गया है।