छत्तीसगढ़रायपुर

पशुपालन विभागीय योजनाओं और डेयरी उद्यमिता विकास योजना के बारे में जानकारी लेकर उर्मिला बनी सफल डेयरी व्यवसायी.

रायपुर ।  जहां चाह वहां राह इस उक्ति को चरितार्थ किया है उर्मिला ने। ज़िला मुख्यालय महासमुंद से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम झालखम्हरिया में रहने वाली 45 वर्षीय उर्मिला यादव की कहानी है, जिसने सरकारी योजना का लाभ लेकर डेयरी फार्म का व्यवसाय कर आर्थिक सफलता हासिल की। उर्मिला यादव 10वीं तक पढ़ी लिखी है। वह छोटे किसान परिवार से है। पहले उनका मूल काम कृषि कार्य था। इसके अलावा उन्होंने गांव में छोटी सायकल दुकान भी डाली। वह मेहनती तो थी ही घरेलू उपयोग के लिए एक-दो गाय भी पाल रख ली थी, इससे वह सामान्य गुजर बसर कर रही थी।

उमिर्ला की इच्छा परिवार की आर्थिक स्थिति को मज़बूत करने की थी। वो उम्मीद लगाये रहती थी कि कही से आर्थिक मदद मिल जाए तो वह गाय पालन को एक डेयरी व्यवसाय के रूप स्थापित करें। हर व्यक्ति का सपना होता है कि वह आर्थिक रूप से सक्षम हो। इस सपना को पूरा करने के लिए वह रास्ता भी ढूंढता है, लेकिन इस रास्ते में आर्थिक संकट रुकावट पैदा करता है। ऐसी स्थिति में शासकीय योजनाएं उसके जीवन में उम्मीदों की किरण बनकर आती है और उसका सपना पूरा करने का जरिया बन जाती है।

पशुपालन विभागीय योजनाओं और डेयरी उद्यमिता विकास योजना के बारे में जानकारी मिली। उर्मिला बिना देरी किए लाभ लेने के लिए विभाग से संपर्क किया। ऋण योजनान्तर्गत परीक्षण में पात्र पायी गयी। योजना के तहत् उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक से 12 लाख रुपए का ऋण स्वीकृत हुआ, जिसमें सहायता के रूप में 6 लाख रूपये विभाग से अनुदान मिला। इस आर्थिक सहयोग से उन्नत नस्ल की 15 दुधारू गाय खरीदी, जिनके दुध उत्पादन से जो आय होती उससे वह ऋण की किस्त की नियमित अदायगी की। अतिरिक्त आमदनी बढ़ने से उन्होंने और गाय खरीद कर पशुधन की संख्या में ईजाफा किया।

आज उर्मिला के पास उन्नत नस्ल की 26 गाय है। पहले उनके पास मात्र दो गाय थी, जिनकी संख्या बढ़कर अब 48 हो गयी है। इससे प्रतिदिन डेढ़ क्विंटल दुध का उत्पादन हो रहा है। फलस्वरूप 6 से 7 हजार रूपये की प्रतिदिन आय होती है, जिसमे से प्रतिदिन 5 हजार रूपये पशु प्रबंधन, रख-रखाव में खर्च हो जाता है। डेढ़ हजार रूपये की शुध्द बचत होती है। मार्केटिंग के लिए वह ओम डेयरी के नाम से मिल्क पार्लर चला रही है। इसके अलावा वह गोबर, वर्मी-कम्पोस्ट खाद से भी आर्थिक लाभ ले रही है। इस प्रकार आर्थिक लाभ होने से आत्मविश्वास के साथ ही उनका आत्मसम्मान भी बढ़ा है। उर्मिला के लिए शासकीय योजनाएं उसके जीवन में उम्मीदों की किरण बनकर आई और उसके जीवन का सपना साकार हुआ।

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