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विदिशा/गंजबासौदा: धैर्य, संयम, समर्पण ने चंद्रशेखर दुबे को दिलाया अहम पद

विदिशा/गंजबासौदा – आरएसएस, बजरंगदल और भारतीय जनता पार्टी के संगठन में सालों से निस्वार्थ भाव से काम करने वाले चंद्रशेखर दुबे को इस बार पार्टी ने एक बड़ी जिम्मेदारी दी है, पार्टी ने उन्हें गंजबासौदा-ग्यारसपुर विधानसभा सीट पर प्रभारी न्युक्त किया है, जिसके बाद चंद्रशेखर दुबे के समर्थकों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए चंद्रशेखर दुबे ने एक लंबा संघर्ष किया है, चलिए जानते हैं कि कैसे वे यहां तक पहुंचे ।

कौन हैं चंद्रशेखर दुबे ?

चंद्रशेखर दुबे गंजबासौदा के एक सामान्य परिवार से आने वाले शख्स हैं, जिन्होने विदिशा से बीएससी करने के बाद राजनीति शास्त्र से एमए की. पढ़ाई के दौरान ही उनका रुझान राजनीति की तरफ हो गया था, लेकिन उनकी सबसे बड़ी खासियत ये रही कि जबसे उन्होने राजनीति को समझा, वे आरएसएस और भाजपा के कर्मठ सिपाही बनकर रहे ।

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कौन-कौन से पदों पर रहे चंद्रशेखर दुबे ?

चंद्रशेखर दुबे ने अपना राजनीतिक करियर, एक स्वयं सेवक के रूप में शुरू किया, वे सुबह करीब चार बजे उठकर न सिर्फ शाखाओं में जाते थे, बल्कि उन्होने कई जगह आरएसएस की शाखाएं भी शुरू कराईं । इसके बाद वे बजरंगदल से जुड़े और गंजबासौदा नगर संयोजक बने, फिर विदिशा जिला संयोजक, भोपाल विभाग संयोजक, युवा मोर्चा विदिशा जिला मंत्री, दीनदयाल उपचार योजना के जिला संयोजक, और एसजीएस जनभागीदर समिति के अध्यक्ष रहे,  पार्टी ने अब उन्हें गंजबासौदा-ग्यारसपुर विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी की अहम जिम्मेदारी दी है ।

आतंकियों के चैलेंज का दिया निडर होकर जवाब

साल 1996 में जब देश में आतंकी घटनओं के बाद अमरनाथ यात्रा रोक दी गई थी, आतंकियो ने चुनौती दी थी, कि अमरनाथ यात्रा वे किसी भी कीमत पर शुरू नहीं होने देंगे, जिसे चंद्रशेखर दुबे ने स्वीकार किया और जयभान सिंह पवैया के नेतृत्व में वे करीब सवा सौ लोगों के साथ वे अमरनाथ यात्रा पर पहुंचे और अमरनाथ यात्रा शुरू कराई ।

ganj basoda bjp
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जब चंद्रशेखर दुबे 71 दिन जेल में रहे

ये बात उन दिनों की है, जब साल 2004 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और गंजबासौदा नगर में एक आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया था, जिसके बाद नगर में आगजनी जैसी घटनाएं हुईं, जिसके बाद चंद्रशेखर दुबे पर रासुका के तहत कार्रवाई की गई थी, जिसके चलते बताया जाता है कि पुलिस ने उनके परिवार को जमकर प्रताड़ित किया और उनके परिवार के सदस्यों को कई-कई दिन तक बिना गिरफ्तारी दिखाए थाने में बिठा लिया जाता था, महौल बेहद तनाव भरा था, और हालातों को शांत करने के उद्देश्य से उन्होने वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की मौजूदगी में अपने साथियों के साथ गिरफ्तारी दी, इस दौरान वे करीब 54 दिन जबलपुर और सागर जेल में रहे, जबकि 17 दिन उन्हें गंजबासौदा की जेल में रहना पड़ा ।

ये वीडियो भी देखें

https://www.youtube.com/watch?v=y0KGNpKqB6I&t=349s

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