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छाल के ग्रामीणों ने कोयला खदान के विरोध में कलेक्ट्रेट पर रात भर धरना दिया, महिलाओं-बच्चों ने भी भाग लिया

रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के छाल क्षेत्र के तीन गांव—पुरूंगा, साम्हरसिंघा और तेंदूमुड़ी—के लोग अपने जल, जंगल और जमीन को कोयला खदान के लिए नहीं देना चाहते। यही वजह है कि 6 नवंबर की रात से ग्रामीण कलेक्ट्रेट में धरना प्रदर्शन पर बैठ गए।

ग्रामीणों का कहना है कि 11 नवंबर को कोयला खदान के लिए जनसुनवाई होने वाली है, जिसे वे रद्द करवाना चाहते हैं। गुरुवार को करीब 300 लोग कलेक्ट्रेट पहुंचे और अपनी मांगों को लेकर विरोध जताया। लेकिन जब कलेक्टर उनसे मिलने नहीं आए, तो ग्रामीण रात भर कलेक्ट्रेट के सामने डटे रहे। धरने में महिलाओं, बच्चों और लड़कियों की भी बड़ी संख्या शामिल रही।

ग्रामीणों ने शुक्रवार दोपहर तक किसी प्रशासनिक अधिकारी से मुलाकात नहीं होने पर जानकारी पाई कि गांव में जनसुनवाई की तैयारियां शुरू हैं। इसके बाद उन्होंने धरना समाप्त कर अपने गांव लौट गए, लेकिन अब भी जनसुनवाई का विरोध करने की चेतावनी दे रहे हैं।

धरमजयगढ़ से कांग्रेस विधायक लालजीत राठिया और खरसिया से विधायक उमेश पटेल भी प्रदर्शन में शामिल हुए। ग्रामीणों का कहना था कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी, वे कलेक्ट्रेट के सामने ही धरना जारी रखेंगे। ठंडी बढ़ने के बावजूद उन्होंने अपनी जगह नहीं छोड़ी।

प्रशासन ने कलेक्ट्रेट के सामने बैरिकेड लगाकर सुरक्षा बढ़ा दी थी। ग्रामीणों का मानना है कि ग्राम सभा में जनसुनवाई को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया जा चुका है, लेकिन प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा।

विधायक लालजीत राठिया ने कहा कि माताएं और छोटे बच्चे भी धरने में शामिल हैं और रायपुर से तुरंत जनसुनवाई रद्द करने का आदेश भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कलेक्टर पर भी आरोप लगाया कि वे जनता की सेवा के बजाय बड़े लोगों के कामों में लगे हैं।

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