प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां जाते हैं,वहीं के हो जाते हैं
ब्रेकिंग :- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे ही नहीं पूरे देश और दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता बने हैं, इसके पीछे उनकी वो तपस्या है, जिससे वे दूसरे नेताओं को खुदसे कई गुना पीछे छोड़ देते हैं, उनकी खासीयत है, कि वो देश की धरती हो या फिर विदेश की. वे जहां जाते हैं, वहीं की तरह दिखने और बोलने की पूरी कोशिश करते हैं, वे इसमें भले ही पूरी तरह से सफल न हों, पर उनकी ये कोशिश स्थानीय लोगों का दिल जरूर जीत लेती हैं ।
बात अगर हमारे देश की करें, तो भारत अनगिनत भाषाओं की भूमि है, यह देश ऐसा भी है कि जहां राज्यों की सीमाओं का निर्धारण भी भाषायी आधार पर किया गया है. भाषाओं के आधार पर देश में कई आंदोलन भी होते रहे हैं ।
इस बात को पीएम नरेंद्र मोदी अच्छे से जानते हैं, वे यह भी जानते हैं कि पूरे देश को एक सूत्र में पिरोना है तो भाषा की सीमाएं तोड़नी होंगी, लिहाजा वे जहां जाते हैं वहां की भाषा जरूर बोलते हैं ।
वैसे पीएम का ये प्रयोग आज का नहीं है, बल्कि वे जब 17 साल के थे, तो वह अकेले ही एक लंबी यात्रा पर निकल पड़े थे. प्रधानमंत्री बनने के बाद भी पीएम मोदी ने देश के सभी हिस्सों की यात्रा की है. भारत के सबसे अधिक यात्रा करने वाले प्रधान मंत्री ने उस पूर्वोत्तर में रिकॉर्ड संख्या में यात्राएं की हैं, जो कि पहले केंद्र की प्रयोरिटी लिस्ट में नहीं रहा.
और सिर्फ भाषा ही नहीं, वे अपने पहनावे से भी स्थानीय लोगों से कनेक्ट होने की पूरी कोशिश करते हैं, फिर चाहे वह शॉल हो या टोपी, प्रधानमंत्री लोगों के साथ दृश्य जुड़ाव के लिए स्थानीय पोशाक का भी उपयोग करते हैं. कोई भी विपक्षी नेता स्थानीय लोगों से जुड़ने के लिए किसी क्षेत्र की भाषा या पहनावे का उपयोग करने का इतना ठोस प्रयास नहीं करता है।