बड़ी खबरें

नईदिल्ली : जीत-हार का पड़ेगा 2019 के आम चुनाव पर असर

नई दिल्ली : कर्नाटक विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। राज्य में 12 मई को वोट डाले जाएंगे और 15 मई को मतगणना होगी। इस चुनाव परिणाम के आधार पर 2019 में बीजेपी और कांग्रेस का भविष्य भी तय हो सकता है। यहां के चुनाव परिणाम का असर इस साल के अंत में होने वाले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों पर भी पडऩा तय माना जा रहा है। कर्नाटक चुनाव परिणाम से देश में गठबंधन और उसकी राजनीति की दिशा और दशा भी तय हो सकती है। कर्नाटक इलेक्शन को असल में 2019 के आम चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस के बीच अहम मुकाबला माना जा रहा है। कर्नाटक में दोनों राष्ट्रीय पार्टियों का प्रदर्शन यह तय करेगा कि 2019 में किसका पलड़ा भारी हो सकता है।
कर्नाटक में कुछ ऐसा हो सकता है परिणाम
चुनाव परिणाम यह हो सकते हैं कि या तो कांग्रेस या फिर बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बना ले। तीसरा परिणाम त्रिशंकु विधानसभा की हो सकती है और इसमें जेडीएस किंगमेकर की भूमिका में आ सकता है। जेडीएस ने बीएसपी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन किया है ताकि राज्य के दलित वोट बैंक को हासिल किया जा सके। इस बात की उम्मीद बेहद कम है कि जेडीएस-बीएसपी गठबंधन अकेले बहुमत हासिल कर ले। यह जरूर हो सकता है कि यह गठबंधन कांग्रेस और बीजेपी के वोट बैंक को नुकसान पहुंचे दे। ऐसे में जेडीएस राज्य में सरकार बनाने या बिगाडऩे की स्थिति में रहेगी।

अगर कर्नाटक में बीजेपी जीती
बीजेपी को यह पता है कि कर्नाटक चुनाव उसके लिए कितना अहम है। हाल के लोकसभा उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी पर दबाव है और मोदी लहर को बरकरार रखने की जरूरत है। राज्य में अगर बीजेपी जीतती है तो यह साबित करने में सफल रहेगी कि विपक्षियों की तुलना में उसका पलड़ा भारी है। इसका असर इस साल के अंत में होने वाले तीन बड़े राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी हो सकता है। सकारात्मक परिणाम से पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी और मजबूत होगी। कांग्रेस की हार के बाद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी पर सवाल उठेंगे। बीजेपी कर्नाटक चुनाव में जीत के लिए उत्तर प्रदेश और गुजरात चुनावों में प्रयोग नुस्खा ही आजमाने की कोशिश में है। पार्टी ने कार्यकर्ताओं से सूचना जुटाना शुरू कर दिया है। अमित शाह ने पार्टी नेताओं को एक-एक वोटर की जनाकारी जुटाने को आदेश दिया है।

सिंगापुर में दोस्तों को भेज रहा आपकी जानकारी
 तीसरे मोर्चे को मिलेगा बल

कर्नाटक में बीजेपी की जीत से 2019 में गैरकांग्रेसी तीसरे फ्रंट को बल मिल सकता है। इस महीने के शुरू में तेलंगाना राष्ट्र समिति के चीफ के चंद्रशेखर राव ने राष्ट्रीय राजनीति में उतरने की घोषणा की थी। राव की इस घोषणा को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने समर्थन किया था। राव ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों पर हमला किया था और कहा था कि दोनों पार्टियां देश की जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी हैं।
कांग्रेस के लिए बेहद अहम कर्नाटक परिणाम
मौजूदा वक्त में कांग्रेस अपने सभी सहयोगियों से समान दुश्मन को हराने के लिए एक मंच पर आने के लिए कह रही जिसका नेतृत्व देश की सबसे पुरानी पार्टी करेगी। अगर कांग्रेस कर्नाटक चुनाव हार जाती है तो उसकी रणनीति ध्वस्त भी हो सकती है। जबतक कांग्रेस कर्नाटक में फिर से जीत दर्ज नहीं करे और मध्य प्रदेश या राजस्थान जैसे बड़े राज्य में सरकार नहीं बना ले उसका अपने सहयोगियों के लिए नेतृत्व वाली स्थिति में पहुंचना मुश्किल ही है। ममता राहुल की महत्वकांक्षा को ध्वस्त कर सकती हैं। अगर कांग्रेस इन राज्यों में चुनाव हारती है तो ममता मोदी के विकल्प के तौर पर उभर सकती हैं।
अगर कर्नाटक के जंग में कांग्रेस जीती तो राहुल का कद बढ़ेगा
अगर कांग्रेस कर्नाटक में जीत दर्ज कर लेती है तो यह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए बड़ी जीत होगी। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस केवल 44 सीटें ही जीत सकी थी। अगर कर्नाटक में कांग्रेस को जीत मिलती है तो वह पूरे देश में यह संदेश दे पाने में सफल रहेगी कि बीजेपी के मुकाबले वही खड़ी हो सकती है। यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने हाल में 20 पार्टियों को डिनर पर बुलाया था। इसे 2019 के लिए बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस की गठबंधन की पहल माना गया था। इस बैठक में एनसीपी, टीएमसी, समाजवादी पार्टी, आरजेडी, डीएमके, जेएमएम और लेफ्ट पार्टियां शामिल हुई थीं। कर्नाटक में अगर देश की सबसे पुरानी पार्टी को जीत मिलती है तो वह 2019 के महागठबंधन के लिए स्वभाविक नेतृत्वकर्ता के तौर पर उभरेगी।
सिद्धारमैया के लिए बड़ी चुनौती
राज्य में अगर कांग्रेस को जीत मिलती है तो कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। अगर पार्टी को यहां जीत मिलती है तो मोदी-शाह की जोड़ी को वह ऐंटी इन्कम्बन्सी के बावजूद मात देने कामयाब होंगे। कांग्रेस ने राज्य लिंगायत को अलग धर्म देने का दांव खेला है। अगर पार्टी यहां जीत जाती है तो यह दांव उसके लिए मुफीद साबित होगा अगर हारी तो इस फैसले को भी हार कारण माना जा सकता है। पार्टी का मानना है कि राज्य सरकार का यह फैसला कांग्रेस के पक्ष में रहेगी। कांग्रेस कर्नाटक चुनाव को धर्मनिरपेक्षता बनाम सांप्रदायकिता के मुद्दे पर लड़ रही है। अगर कांग्रेस की यह रणनीति सफल होती है तो आने वाले चुनावों में भी वह इसका प्रयोग कर सकती है।
जेडीएस के लिए करो या मरो का मौका
जेडीएस चीफ एचडी कुमारस्वामी काफी मुश्किल भरे वक्त से गुजर रहे हैं। उनकी पार्टी के सात विधायक दो दिन पहले कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। हालांकि अभी भी वह बीजेपी के साथ गठबंधन का रास्ता खुला रखे हुए हैं। राज्यसभा पोलिंग में विवाद के बाद कुमारस्वामी ने संकेत दिया था कि पार्टी कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने के लिए बीजेपी से हाथ भी मिला सकती है। कुमारस्वामी ने कांग्रेस को याद दिलाया है कि उनकी पार्टी को राज्य में हल्के में नहीं लिया जाए। उन्होंने कहा था, मैं मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कांग्रेस को चेतावनी देता हूं कि अगर मैं बीजेपी के साथ खड़ा हो जाऊंगा तो कांग्रेस का कर्नाटक में सफाया हो जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button