रायपुर: पत्रकारों के बीच आकर चंद्रशेखर खरे, जो कि वर्तमान में प्रक्षेत्र प्रबंध, कृषि वैज्ञानिक के पद पर जांजगीर चांपा में पदस्थ हैं, वो अपनी भावनाओं को नहीं रोक सके और भावुक होकर उन्होने न सिर्फ हमारे सरकारी सिस्टम पर सवाल उठाए बल्कि मानसिक तनाव से तंग आकर, परिवार सहित जलसमाधी लेने की तक धमकी तक दे डाली, चंद्रशेखर ने शायद हताश और निराश होकर ऐसी बात कही हो, लेकिन ये बात भी सच है कि अकेले छत्तीसगढ़ में ही न जाने कितने चंद्रशेखर होंगे जो देश के सरकारी सिस्टम के सामने खुदको असाहय समझने लगते हैं ।
त्यागपत्र मंजूर करने की एवज में मांगी गई रिश्वत
दरअसल चंद्रशेखर खरे जो कि मालखरौदा में कृषि विस्तार अधिकारी के पद पर पदस्थ था, लेकिन इसी दौरान उसकी नियुक्ति प्रक्षेत्र प्रबंधक के पद पर पर हो गई और उसके मुताबिक उसने जनवरी 2013 में कृषि विस्तार अधिकारी के पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन उसे विभाग द्वारा एनाओसी नहीं दी गई, उसका आरोप है कि इसके एवज में संबंधित अधिकारी एम के चौहान और ललित मोहन भगत सहित दूसरे अधिकारियों ने उससे लाखों रुपए ऐंठ लिए, हालांकि इसके बाद उसे मई 2015 में विभाग के द्वारा कुछ बकाया राशि जमा कराने के बाद एनओसी दे दी गई, लेकिन उसकी मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं और इसके बाद पूर्व में पदस्थ विभाग के अधिकारियों द्वारा उससे और पैसों की मांग की जाने लगी ।
रिश्वत लेते क्लास वन ऑफिसर को कराया था गिरफ्तार
चंद्रशेखर ने बताया कि जब उसने और पैसे देने में असमर्थता जाहिर की तो अधिकारियों ने उसे धमकाना शुरू कर दिया जिसके बाद उसने एंटी करप्शन ब्यूरो में मामले की शिकायत दर्ज कराई और आरोपियों को 40 हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार करा दिया, लेकिन इसके बाद से ही दूसरे अधिकारियों ने उसके खिलाफ साजिश करना शुरू कर दी, और उसे पिछले केस में फंसाकर धोखाधड़ी की झूठी एफआईआर दर्ज करा दी ।
कृषि उपसंचालक ने किया साढ़े पांच करोड़ का गबन – चंद्रशेखर
चंद्रशेखर का आरोप है कि कृषि उपसंचालक ललित मोहन भगत ने करीब साढ़े पांच करोड़ रुपए की सरकारी राशि का गबन किया है जिसकी जांच में वो दोषी भी पाए गए, लेकिन जांच अधिकारियों ने मेरे खिलाफ तो एफआईआर कराने की अनुशंसा कर दी लेकिन साढ़े पांच करोड़ का घोटाला करने वाले ललित मोहन भगत सहित दूसरे दोषी अधिकारियों के खिलाफ न तो कोई कार्रवाई की न ही गबन की राशि की रिकवरी की गई ।
अधिकारियों से नहीं हो सका संपर्क
हमने चंद्रशेखर के आरोप लगाने के बाद कई बार ललित मोहन भगत सहित दूसरे अधिकारियों के मोबाइल नंबर पर संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका ।