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राजनाँदगाँव : साल भर बाद कल को खुलेगी मंढीपखोल गुफा का द्वार

राजनांदगांव : पैलीमेटा ऐतिहासिक और अपने अंदर कई रहस्यो को समेटकर रखने वाली मढीपखोल गुफा 23 अप्रैल को खुलेगी, यह गुफा साल में सिर्फ एक बार अक्षय तृतीया के बाद आने वाले पहले सोमवार को खुलती है।गुफा के खुलने पर बडी संख्या में लोग यहा आकर गुफा को देखने के साथ यहा विराजित शिव जी की पूजा अर्चना करते है यहां जिले से लेकर पूरे छत्तीसगढ़ और पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र, उड़ीसा के लोग पहुचते है।

मढीपखोल गुफा 23 अप्रैल को खुलेगी

जानकारी के अनुसार मंढीपखोल गुफा ठाकुरटोला राज परिवार के कुल देवता का स्थान है राज परिवार के सदस्य राजपुरोहित रोहित लाल पुलस्त और उनके परिवार द्वारा पहले पुजा अर्चना करने के बाद मंढीप खोल गुफा के द्वार खोलते है फिर लोगो के दर्शन का सिलसिला शुरू हो जाता है मंढीपखोल गुफा पहुच मार्ग राजनांदगांव से 95 किमी दूरी पर स्थित है।

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राजनांदगांव से कवर्धा मार्ग के बीच इसका सफर गंडई से नर्मदा मैया के दर्शन से शुरू होता है बालाघाट मार्ग पर पहले जंगलपुरघाट स्थित चोडरा धाम के गौमुख डोगेश्वर महादेव के दर्शन के दौरान लोगो को प्रकृति की अद्भुत लीला देखने को मिलती है।

राजनांदगांव से 95 किमी दूरी पर स्थित

गुफा का सफर ठाकुरटोला चौक से शुरू होती है ठाकुरटोला से 13 किमी जंगली रास्ते से होकर जाना पड़ता है सफर के दौरान लोगो को एक नदी को 16 बार अलग अलग स्थानो से पार करने के बाद गुफा तक जाने का रास्ता मिलता जाता है।
जानकारी के अनुसार ग्रामीण राधा मोहन वैष्णो और संजय मसीह ने बताया की ठाकुरटोला रियासत के जमीदारो ने 13 वीं शताब्दी में मंढीपखोल गुफा जो उनके कुल देवता का स्थान, महागौरी मंदिर,

गुफा का सफर ठाकुरटोला चौक से शुरू होती है

दक्षिण मुखी हनुमान और शिव मंदिर का निर्माण कराया था ये मंदिर खजुराहो शैली पर बने है जो ठाकुरटोला गांव के प्रवेश करने पर दिखाई देता है।सिद्धपीठ है गौरी मंदिर मंढीपखोल गुफा में जाने से पहले श्रद्धालु यहा स्थापित मां गौरी और दक्षिण मुखी हनुमान के दर्शन करते है इन मंदिरो में दर्शन करने के बाद गुफा के अंदर विराजित शिव के दर्शन करते है तभी इस यात्रा को पूर्ण माना जाता है।

गुफा के अंदर विराजित शिव के दर्शन करते है

गुफा के अंदर है पवित्र कुंड जानकारी के अनुसार गुफा के अंदर श्वेत गंगा है जिसे पार करने के बाद पवित्र कुंड है यहां पहुचकर श्रद्धालु स्नान करते है ऐसा माना जाता है कि यहां स्नान करने से चर्म रोगो से मुक्ति मिलती है साथ ही उसे पीने से पेट संबंधी रोग दूर हो जाते है।लुभाते है चमकदार पत्थर कई रहस्यो को समेटे गुफा में कुछ ऐसे पत्थर है जो प्रकाश में हीरे के समान चमकते है यह पत्थर लोगो को काफी आकर्षित करते है यहां काफी घुमावदार और विचित्र रास्ते भी है, यहां का शिव लिंग का मंदिर और चमगादर खोल गुफा को सबसे पवित्र माना जाता है यहां तक पहुचने के लिए बास या लकड़ी की सीढी का उयोग करना पड़ता है।

यहां स्नान करने से चर्म रोगो से मुक्ति मिलती है

चढऩे के बाद एक साथ सिर्फ आठ से दस लोग ही शिव का दर्शन करते है क्योकि गुफा काफी सकरी है, कई रास्ते में लेट कर और सीर नीचे कर सफर करना पड़ता है, गुफा के अंदर गहरा अंधेरा होने के कारण लोगो को अंदर जाने के लिए टार्च, मसाल आदि का उपयोग करना पड़ता है।

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