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रायपुर : रायपुर को दी गई गरीब कैंसर पीडि़त मरीजों का मुफ्त इलाज न करने की छूट : भूपेश बघेल

रायपुर : मुख्यमंत्री ने कहा है कि वेदांता अस्पताल को लेकर कोई विवाद नहीं है। मुख्यमंत्री की बातों का समर्थन करते हुए आरडीए के सीईओ का बयान आया कि वेदांता को कोई छूट नहीं दी गई है। कांग्रेस इन दोनों की बातों से अहमत है। छूट दी गई है, वेदांता को 20 प्रतिशत गरीब कैंसर पीडि़त मरीजों का मुफ्त इलाज करने की जवाबदारी से छूट दी गई है।
कांग्रेस भवन में आयोजित एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने आरोप लगाते हुए कहा कि होना तो यह चाहिए था कि कैंस जैसी गंभीर बीमारी से लड़ रहे हर गरीब को, प्रत्येक जरूरतमंद को न केवल इलाज बल्कि इसके बाद भी सरकार से पूर्ण सहायता मिलनी चाहिए। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह कहते हैं कि कोई विवाद नहीं है, विवाद तो है और गंभीर विवाद है। यह विवाद राज्य के गरीब कैंसर पीडि़तों और राज्य की भाजपा सरकार के मुखिया के बीच विवाद है। विवाद राज्य के गरीब कैंसर पीडि़त मरीजों से मुफ्त इलाज के हक को छीने जाने का विवाद है। इस विवाद में एक पक्षकार हैं, उनके लिए लडऩे वाली कांग्रेस पक्षकार है। उनका हक मारने वाले वेदांता और राज्य सरकार इस साजिश में शामिल राज्य के मुखिया भी पक्षकार हैं। राज्य के मुखिया कर रहे है कि वेदांता अस्पताल मामले में कोई विवाद नहीं है, संभवत: वे सरकार और वेदांता के बीच की बात कह रहे होंगे क्योंकि अब लेनदेन सब निपट गया है। लेकिन जनता की नजर से देखें तो विवाद तो अब शु हुआ है। सवाल तो अब खड़े हो रहे हैं और जवाब राज्य के मुखिया को देना ही पड़ेगा। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री को तो कोई जानकारी नहीं हे। अधिकारी उनका मंत्रालय चला रहे हैं और वे सहहाय देख रहे हैं।
अस्पताल को लेकर ज्वलंत सवाल : जब रियायती दरों पर वेदांता को 2009 में जमीन दी गई, एमओयू में अस्पताल बनने की समय सीमा 2011 निर्धारित थी तो समय सीमा में काम पूर्ण नहीं होने पर एमओयू स्वमेव समाप्त हो गया था, तो ऐसा क्यों नहीं हुआ? राज्य सरकार ने 7 साल इंतजार क्यों किया? एमओयू रद्द करके जमीन फिर से राजसात कर लेना था या फिर जुर्माना लगाकर अस्पताल शुरू करने के लिए बाध्य करना था, ऐसा क्यों नहीं किया गया? जब अस्पताल शुरू होने की स्थिति में आ गया तो फिर एमओयू रद्द क्यों किया गया। एमओयू रद्द करके 34 करोड़ का जुर्माना लगाया गया तो नए सिरे से जमीन वेदांता को ही कैसा मिल गया। क्या वेदांता के साथ कोई नया एमओयू हुआ है? यदि हुआ है तो इसका जिक्र क्यों नहीं हो रहा है? अगर धर्मार्थ अस्पताल की बात खत्म हो गई और व्यवसायिक अस्पताल की अनुमति दी गई तो फिर जमीन की कीमत में अंतर आ गया। क्या अंतर की यह राशि वेदांता से वसूल की गई या फिर सरकार ने जनता की संपत्ति वेदांता को मुफ्त में दे दी? जानकारी यह है कि यह अस्पताल बालको के सीएसआर याने कार्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी में आने वाले पैसों से बना है, तो फिर सीएसआर के पैसों से बन रहे अस्पताल को व्यावसायिक करने का निर्णय वेदांता के मुखिया कैसे कर सकते हैं? मामला गरीबों के इलाज का था तो इसे किसी निजी पार्टी को बेचने का फैसला राज्य सरकार कैसे ले सकती है? श्री बघेल ने कहा कि कांग्रेस जनता के साथ है, कांग्रेस ने आदिवासियों की जमीन छिनने से रोका, पंचायतों के पैसों से अंबानी-मित्तल के लिए मोबाइल टॉवर लगाने से रोका और अब हम अस्पतालों को बेचने से भी रोकेंगे।

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