रायपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को देश के 18 बहादुर बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया। सम्मानित किये गये बच्चों में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की लक्ष्मी यादव भी शामिल है।
अपनी जान जोखिम में डालकर साहसिक कार्य करने वाले जिन बच्चों को इस साल वीरता पुरस्कार से नवाजा गया, उसमें आगरा की नाजिया और रायपुर की लक्ष्मी यादव भी शामिल रहे। इस साल तीन बच्चों को मरणोपरांत यह वीरता पुरस्कार दिया गया।
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वीरता पुरस्कार पाने वाले इन बच्चों ने साहसिक कार्य करके नजीर पेश की है। उन्होंने कहा कि पुरस्कार पाने वाले ज्यादातर बच्चे ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं। इनके रोजाना के संघर्ष ने इनको विपरीत परिस्थितियों से निपटने का साहस दिया। राष्ट्रीय वीरता का पुरस्कार छत्तीसगढ़ से रायपुर जिला निवासी लक्ष्मी यादव को अपनी सूझबूझ से तीन अपहरणकर्ता को गिरफ्तार करवाने के लिए दिया गया है, वहीं आगरा की नाजिया को यह वीरता पुरस्कार जुआरियों और सट्टेबाजों के गिरोह का पदार्फाश करने का साहसिक कार्य करने के लिए दिया गया है। इसी प्रकार अपने साहस और हिम्मत से 74 वर्षीय एक बुजुर्ग और पशुओं की आग से रक्षा करने वाले चिंगई वांगसा को वीरता पुरस्कार से नवाजा गया। श्री मोदी ने आज कुल 18 बच्चों को पुरस्कृत किया। इन बच्चों को पांच अलग-अलग श्रेणियों में ये पुरस्कार दिए गए, जिनमें भारत पुरस्कार, गीता चोपड़ा पुरस्कार, संजय चोपड़ा पुरस्कार, बापू गैधानी पुरस्कार और सामान्य राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार शामिल हैं। इस पुरस्कार कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी भी मौजूद रहीं। अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इन बच्चों के लिए एक स्वागत कार्यक्रम का आयोजन करेंगे। ये बच्चे 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड में भी हिस्सा लेंगे। इस साल वीरता पुरस्कार पाने वालों में सात लड़कियां और 11 लडक़े शामिल हैं।
इस साल राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार पाने वाले बच्चों में छत्तीसगढ़ के लक्ष्मी यादव (16), मेघालय के बेत्शवाजॉन पीनलांग (14), ओडि़शा की ममता दलाई (7), केरल के सेब्सटियन विसेंट (13), नगालैंड की मानसा एन (13), एन शांगपोन कोनयक (18), योकनी (18), चिंगाई वांगसा (18), गुजरात के समृद्धि सुशील शर्मा (17), मिजोरम के जोनुनलुआंगा (16), उत्तराखंड के पंकज सेमवा (16), महाराष्ट्र के नदाफ एजाज अब्दुल राउफ (17) और ओडि़शा के पंकज कुमार महंत शामिल हैं। पीनलांग ने अपने तीन साल के भाई को जल रहे घर से निकाला था, जबकि ममता ने अपने दोस्त को मगरमच्छ के जबड़े से बचाया। इसमें 4 बच्चों को मरणोपरांत पुरस्कार दिया गया था. सम्मान पाने वाले बच्चों में केरल से चार, दिल्ली से तीन, वेस्ट बंगाल और छत्तीसगढ़ के दो-दो बच्चे शामिल रहे।
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