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सुशासन की नई परिभाषा: चिंतन शिविर 2.0 में मुख्यमंत्री और मंत्रीगणों ने सीखे नेतृत्व के नए मंत्र

रायपुर। रायपुर के आईआईएम परिसर में आयोजित ‘चिंतन शिविर 2.0’ ने छत्तीसगढ़ शासन को एक नई दृष्टि और ऊर्जा से भर दिया। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अगुवाई में राज्य के सभी मंत्रीगण दो दिवसीय सत्र में शामिल हुए, जहाँ ‘परिवर्तनकारी नेतृत्व’, ‘दूरदर्शी शासन’, ‘संस्कृति’, ‘सुशासन’ और ‘राष्ट्र निर्माण’ जैसे गहरे विषयों पर संवाद हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा, “चिंतन शिविर शासन को केवल नीतियों तक सीमित नहीं रखता, यह नेतृत्व को मूल्य, दृष्टिकोण और सामाजिक सरोकारों से भी जोड़ता है।”

प्रख्यात शिक्षाविद् प्रो. हिमांशु राय (निदेशक, आईआईएम इंदौर) ने भगवद्गीता के श्लोकों के माध्यम से निष्काम कर्म और नैतिक प्रशासन की व्याख्या करते हुए बताया कि निर्णयों का आधार केवल फल नहीं, बल्कि कर्तव्य होना चाहिए।

वहीं, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा, “भारत का राष्ट्रभाव उसकी सांस्कृतिक चेतना में निहित है। सुशासन तब सार्थक होता है जब समाज के अंतिम व्यक्ति तक उसकी पहुंच हो।”

मुख्यमंत्री ने वक्ताओं के विचारों को “प्रेरणादायक और मार्गदर्शक” बताते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन शासन को नई दिशा और नीतियों को नई धार देते हैं।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सचिव श्री राहुल भगत, सुशासन एवं अभिसरण विभाग के विशेष सचिव श्री रजत बंसल, आईआईएम रायपुर के निदेशक श्री राम काकाणी समेत सभी मंत्रीगण उपस्थित रहे।

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