
रायपुर/सुकमा। सुकमा जिले के खेतों में अब बदलाव की बयार बह रही है। 29 मई से 12 जून तक चलाए गए ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ ने किसानों को परंपरागत तरीकों से आगे बढ़कर उन्नत और टिकाऊ खेती की राह दिखाई। इस अभियान का समापन कोंटा ब्लॉक के ग्राम पंचायत मड़वाही में हुआ, लेकिन इसकी गूंज जिले के हर खेत तक पहुंची।
इस अभियान के तहत चिंगावरम, नागारास, बोदारास, उरमापाल, मड़वाही और नुलकातोंग जैसे गांवों में किसानों के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें 800 से अधिक किसानों ने हिस्सा लिया और फसल चक्र परिवर्तन के फायदों को समझा।
खेती में नवाचार की शुरुआत
अभियान के दौरान किसानों को कृषि, पशुपालन और उद्यानिकी विभाग की योजनाओं से अवगत कराया गया। साथ ही, कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों ने बीज उपचार, बीज उत्पादन और खरीफ सीजन की वैज्ञानिक तैयारी पर विस्तृत जानकारी दी।
खास बात यह रही कि किसानों को प्राकृतिक खेती और जैविक उर्वरकों के इस्तेमाल के बारे में बताया गया। बीजामृत, जीवामृत, नीमास्त्र जैसे पारंपरिक और प्रभावशाली जैविक समाधान, अब गांवों की मिट्टी में नई जान फूंकने को तैयार हैं।
लघु धान्य फसलें बनीं नई उम्मीद
रागी, कोदो और कुटकी जैसी लघु धान्य फसलें, अब किसानों के लिए सिर्फ फसल नहीं, बल्कि स्वस्थ भविष्य की कुंजी बनकर उभर रही हैं। इन पौष्टिक फसलों की बढ़ती मांग को देखते हुए, किसानों को इनके उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया गया—खासकर मधुमेह, अल्सर और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए।
फसल चक्र परिवर्तन: फायदे ही फायदे
धान की एकरसता से बाहर निकलकर, अब किसान फसल चक्र परिवर्तन के जरिए खरपतवार नियंत्रण, कीट प्रकोप में कमी और मृदा स्वास्थ्य में सुधार का रास्ता अपना रहे हैं। इसके साथ ही, मृदा परीक्षण की महत्ता पर भी जोर दिया गया, ताकि खेतों की पोषण ज़रूरतें समझी जा सकें और उर्वरकों का संतुलित उपयोग हो।
तकनीक और योजनाएं सीधे खेत तक
अभियान के तहत किसानों को ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव, आधुनिक यंत्रों (जैसे लेजर लैंड लेवलर, थ्रेसर, हार्वेस्टर, स्ट्रा बेलर) और धान की सीधी बुआई तकनीक जैसी उन्नत विधियों से परिचित कराया गया।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, ग्रीन हाउस संरचना पर 50% अनुदान, और पैक हाउस निर्माण के लिए सहायता जैसी योजनाओं की जानकारी भी दी गई, ताकि किसान आर्थिक रूप से भी सशक्त बन सकें।
निष्कर्ष: एक नई शुरुआत की दस्तक
‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ ने केवल जानकारी नहीं दी, बल्कि किसानों में नई सोच, आत्मविश्वास और उत्साह का संचार किया। अब सुकमा के खेतों में केवल फसलें ही नहीं, बल्कि भविष्य के सपने भी लहलहाने लगे हैं।