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अंधेरे को हराने जंगल पहुंची रौशनी: अचानकमार के वनग्रामों में नई ऊर्जा की किरण

रायपुर। छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में बसे वे गांव, जहां सूरज ढलते ही अंधेरा पसरा रहता था, अब रात में भी रौशन होंगे। मुंगेली जिले के अचानकमार टाइगर रिजर्व (एटीआर) के सुदूर और वनवासी गांवों में अब सौर ऊर्जा की रौशनी एक बार फिर उम्मीद की किरण बनकर लौट रही है।

राज्य सरकार के सुशासन के संकल्प के तहत इन गांवों में पहले से लगाई गई सोलर लाइट्स की बैटरियां समय के साथ कमजोर हो गई थीं। नतीजा ये हुआ कि गलियों में फैली रोशनी धीरे-धीरे मद्धम होती चली गई और रातें फिर डरावनी होने लगीं। जंगली इलाकों में रहने वाले ग्रामीण खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे थे।

लेकिन अब यह अंधेरा ज्यादा दिन नहीं टिकेगा

ग्रामीणों की इस समस्या को मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने गंभीरता से लिया। 19 मई को “सुशासन तिहार” के दौरान जब ग्रामीणों ने यह मुद्दा उठाया, तो सरकार ने तुरंत समाधान का रास्ता तलाशा।

CREDA (छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण) की मदद से अब 12 गांवों की 13 बस्तियों — महामाई, डंगनिया, तिलईडबरा, लमनी, छपरवा, अचानकमार, मंजूरहा, कटामी, अतरिया, बम्हनी, राजक और सुरही — में सोलर पैनलों की पुरानी बैटरियों को बदला जा रहा है।

शनिवार को उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने इन बैटरियों को लेकर जा रहे वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस पहल से 322 परिवारों को रात में न केवल बेहतर रोशनी मिलेगी, बल्कि वे खुद को अधिक सुरक्षित भी महसूस करेंगे।

उन्होंने कहा, “अचानकमार जैसे सुदूर वनांचलों में अब अंधियारा नहीं रहेगा। सरकार हर गांव तक रौशनी, सुरक्षा और सुविधाएं पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।”

अब अचानकमार के जंगलों में रातें भी जगमगाएंगी, और अंधेरे में छुपे डर को हराएगी सौर ऊर्जा की रौशनी।

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