खेल समाचार | क्रिकेट, फुटबॉल, ओलंपिक | Fourth Eye News।Sports

एशिया कप 2025 की तैयारी के बीच क्रिकेट जगत में आई भारी चोट

जैसे ही टीम इंडिया एशिया कप 2025 के लिए अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी है, एक दुखद खबर ने पूरे क्रिकेट परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। ऑस्ट्रेलिया की पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज और घरेलू क्रिकेट की धाकड़ खिलाड़ी, जुली कैल्वर्ट का 30 अगस्त 2025 को निधन हो गया।

61 वर्षीय जुली, जिनका क्रिकेट से जुड़ाव और समर्पण हमेशा प्रेरणादायक रहा, लंबे समय से बीमारी से जूझ रही थीं। उनके अचानक चले जाने से न सिर्फ उनका परिवार, बल्कि विश्व क्रिकेट प्रेमी भी गमगीन हैं। एशिया कप जैसी बड़ी प्रतियोगिता से ठीक पहले आई इस खबर ने खेल की दुनिया को झकझोर कर रख दिया है।

एक क्रिकेट करियर की संक्षिप्त झलक

जुली कैल्वर्ट ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भले ही केवल 6 वनडे मैच खेले हों, लेकिन उन्होंने हर मौके को पूरी मेहनत और जुनून के साथ जिया। 1993 से 1994 के बीच उन्होंने 24 की औसत से कुल 96 रन बनाए। वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू मैच में उनका 34 रन का नाटकीय स्कोर आज भी याद किया जाता है।

उनका अंतरराष्ट्रीय करियर भले ही छोटा था, लेकिन घरेलू क्रिकेट में उन्होंने अपनी छाप छोड़ दी। विक्टोरिया और ब्रंसविक पार्क लेडीज के लिए खेलते हुए उन्होंने 7,000 से ज्यादा रन बनाए, 12 शतक और 30 अर्धशतक जमाए। गेंदबाजी और विकेटकीपिंग दोनों में भी उनका प्रदर्शन लाजवाब था, जिससे वह हरफनमौला खिलाड़ी के रूप में पहचानी गईं।

क्रिकेट की दुनिया का एक मिसाल

जुली कैल्वर्ट ने क्रिकेट को केवल एक खेल के रूप में नहीं बल्कि एक जुनून के रूप में अपनाया। उनकी मेहनत, समर्पण और टीम के लिए निस्वार्थ योगदान ने न केवल विक्टोरिया बल्कि पूरे ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को एक नई पहचान दी। 1997/98 में मेलबर्न-टूरोंगा के खिलाफ उनका 5/36 का प्रदर्शन आज भी उनकी काबिलियत का जीता-जागता उदाहरण है।

एशिया कप 2025 में छाया गम का साया

एशिया कप 2025 के मौके पर इस तरह की दुखद खबर ने टीम इंडिया समेत सभी क्रिकेट प्रेमियों का मन भारी कर दिया है। क्रिकेट की इस बड़ी प्रतियोगिता में टीम इंडिया जुली कैल्वर्ट जैसे खिलाड़ियों को याद करते हुए मैदान पर उतरेगी, जिनका खेल के प्रति समर्पण हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है।

जुली का नाम और उनकी उपलब्धियां हमें हमेशा याद दिलाती रहेंगी कि खेल केवल जीत-हार का नाम नहीं, बल्कि जुनून, संघर्ष और समर्पण की भावना है। क्रिकेट ने एक चमकती हुई आत्मा को खो दिया है, लेकिन उनकी विरासत हर आने वाली पीढ़ी को प्रेरित करती रहेगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button