बिहार ने सरकार एनडीए को दी, पर सबसे ज्यादा वोट RJD की झोली में पहुँचे

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने राज्य की राजनीति को नए मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। जनता ने सत्ता की चाबी एक बार फिर एनडीए को सौंप दी है, लेकिन वोटों की पसंद में सबसे आगे रही तेजस्वी यादव की आरजेडी। दिलचस्प यह रहा कि मतों में नंबर-वन रहने के बावजूद सीटों की संख्या बुरी तरह गिर गई, जिसने विपक्ष के भीतर चिंता बढ़ा दी है।
आरजेडी को इस बार करीब 23% वोट मिले—बीजेपी से लगभग 3% ज्यादा और जदयू से लगभग 4% आगे। इसके बावजूद पार्टी 141 सीटों पर लड़कर केवल 25 सीटों पर सिमट गई। यह पिछले एक दशक का दूसरा सबसे कमजोर प्रदर्शन है, जबकि 2020 में यही पार्टी 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी।
उधर, बीजेपी और जदयू ने अपेक्षित प्रदर्शन करते हुए मिलकर 200 से अधिक सीटें जीतकर सत्ता की ओर मजबूत कदम बढ़ाया। बीजेपी को करीब 20% और जदयू को लगभग 19% वोट मिले, जो पिछले चुनाव के मुकाबले सुधार दर्शाते हैं।
महागठबंधन के अन्य दलों—कांग्रेस और वाम पार्टियों—को इस बार करारी चोट लगी। कांग्रेस सिर्फ छह सीटों पर रह गई, जबकि वाम दल भी सीमित सफलता तक सिमट गए। तेजस्वी यादव ने राघोपुर सीट जीत ली, लेकिन राज्यभर के नतीजों ने विपक्ष की रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस चुनाव की एक और खासियत रही रिकॉर्ड मतदान। दो चरणों में हुए मतदान में 66% से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें महिलाओं की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।
कुल मिलाकर, बिहार की जनता ने सरकार के रूप में एनडीए पर भरोसा जताया है, लेकिन मतों का सबसे बड़ा हिस्सा आरजेडी को जाने से आने वाले दिनों में राजनीतिक समीकरण और भी दिलचस्प होने वाले हैं।



