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दिवालिया JAL पर अडानी की बड़ी बाजी: कड़ी रेस के बाद मिला टेकओवर का मौका

दिवालिया हो चुकी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) आखिरकार अडानी ग्रुप के नाम तय हो गई है। लंबी खींचतान और कई दौर की चर्चाओं के बाद JAL के क्रेडिटर्स ने अडानी एंटरप्राइजेज को अपना पसंदीदा खरीदार घोषित कर दिया।

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि इलेक्ट्रॉनिक ऑक्शन में वेदांता की बोली कुल वैल्यू में करीब 500 करोड़ अधिक होने के बावजूद, अडानी का अपफ्रंट पेमेंट ज़्यादा था—जो क्रेडिटर्स को लुभा गया।

रेस में केवल अडानी और वेदांता ही नहीं, बल्कि डालमिया भारत, जिंदल पावर और PNC इंफ्राटेक जैसे दिग्गज भी शामिल थे। वहीं आखिरी वक्त में JAL के कंट्रोलिंग शेयरहोल्डर मनोज गौड़ ने भी बोली लगाई, जिसे बाद में वापस ले लिया गया।

JAL के सबसे बड़े लेंडर नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (NARCL) पर करीब 55,000 करोड़ रुपये का बकाया है। कंपनी पिछले साल जून से इनसॉल्वेंसी में है, और पूरी प्रक्रिया की निगरानी Deloitte के भुवन मदान कर रहे हैं। अब सवाल यह उठ रहा है कि कम बोली के बावजूद अडानी कैसे आगे निकल आया?

पहले पांच बिडर्स मैदान में थे, लेकिन कंडीशनल ऑफर के चलते डालमिया भारत ने ई-ऑक्शन से खुद को बाहर कर लिया। वहीं JAL के प्रमोटर मनोज गौड़ का 18,000 करोड़ का सेटलमेंट प्रपोजल भी लेंडर्स को असंतोषजनक लगा, क्योंकि फंडिंग का स्पष्ट प्रमाण नहीं था।

जेपी ग्रुप की यह फ्लैगशिप कंपनी सीमेंट, पावर, इंजीनियरिंग, हॉस्पिटैलिटी, रियल एस्टेट और स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर में सक्रिय है, जिसके पास ग्रेटर नोएडा में फैला 1,000 हेक्टेयर का स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट भी है।

लेकिन इनसॉल्वेंसी प्रोसेस में बड़ी बाधा यही स्पोर्ट्स सिटी है—जहां YEIDA ने 2019 में आवंटन रद्द कर दिया था। आरोप थे कि 500 करोड़ रुपये से अधिक का डिफॉल्ट हुआ और लीज की शर्तों का उल्लंघन भी। CAG ने भी अपने ऑडिट में कई अनियमितताओं की ओर संकेत किया था।

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