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नीले ड्रम मर्डर केस की आरोपी मुस्कान ने जेल में बेटी को जन्म दिया—अब उठे नए कानूनी सवाल

मेरठ का कुख्यात नीला ड्रम हत्या कांड एक बार फिर सुर्खियों में है। अपने पति सौरभ की हत्या कर शव को टुकड़ों में काटकर ड्रम में भरने वाली मुख्य आरोपी मुस्कान अब एक बेटी की मां बन गई है।
जेल में जन्मे इस बच्चे को लेकर कई कानूनी बहसें तेज हो गई हैं—क्या अधिकार होंगे इस बच्ची के? क्या उसे पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलेगा?

बच्चा अपराध से नहीं जुड़ता—कानून का साफ संदेश

भारतीय कानून स्पष्ट करता है कि किसी अपराधी की संतान को उसके अपराधों से नहीं जोड़ा जा सकता। जन्म चाहे जेल में हो या अस्पताल में—बच्चा पूरी तरह निर्दोष माना जाता है और उसके अधिकार सामान्य बच्चों जैसे ही होते हैं।

जेल नियमों के अनुसार, महिला बंदी अपने बच्चे को 6 वर्ष की उम्र तक जेल में रख सकती है। इसके बाद अदालत ही तय करती है कि बच्चा किसके पास पलेगा—पिता के परिवार, मां के रिश्तेदार या किसी गार्जियन/होम में।

क्या मुस्कान की बेटी को विरासत मिलेगी?

कानूनी रूप से बच्चा माता और पिता दोनों की संपत्ति पर बराबर का हकदार होता है।
अगर सौरभ ने कोई वसीयत नहीं छोड़ी है, तो बच्ची क्लास-1 हीयर मानी जाएगी—यानी पिता की संपत्ति में उसका पूरा अधिकार होगा।

हालांकि, यह अधिकार अदालत की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लागू होगा, क्योंकि मामला हत्या का है और मुस्कान जेल में है।

जेल में जन्मे बच्चों के विशेष अधिकार

जन्म प्रमाण पत्र का पूर्ण अधिकार

स्वास्थ्य, टीकाकरण और शिक्षा सुविधाएँ

माता-पिता दोनों की संपत्ति पर वैध अधिकार

सुरक्षा, पोषण और चिकित्सा जिम्मेदारी जेल प्रशासन की

जरूरत पड़ने पर सामाजिक संगठनों की सहायता

6 साल पूरे होने के बाद अदालत बच्चे के भविष्य को लेकर अंतिम निर्णय लेती है।

इस तरह, मुस्कान की नवजात बेटी का भविष्य अब कानूनी दायरों और कोर्ट के फैसलों पर निर्भर करेगा।

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