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छत्तीसगढ़ की वित्तीय स्थिति ठीक लेकिन बढ़ती गरीबी बड़ी चिंता : वित्त आयोग

रायपुर। छत्तीसगढ़ के दौरे पर आई 15वें वित्त आयोग की टीम ने राज्य की मजबूत आर्थिक स्थिति की सराहना की है। साथ यहां गरीबी के लगातार बढ़ते आंकड़े पर चिंता भी जाहिर की है। आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने राज्य सरकार और मुख्यमंत्री की सराहना की।

उन्‍होंने कहा कि कुछ ही महीनों में सरकार ने कई अच्छी पहल की है, विशेष रूप से कृषि के क्षेत्र में। हालांकि आयोग ने धान पर भारी भरकम बोनस दिए जाने पर चिंता जाहिर की। आयोग के एक सदस्य रमेश चंद ने कहा कि इससे मार्केट का संतुलन बिगड़ेगा। आयोग ने राज्य में कृषि सेक्टर में निवेश बढ़ाने के साथ अधिक विकास पर जोर दिया।

वीआइपी रोड स्थित एक होटल में गुस्र्वार को प्रेसवार्ता में अध्यक्ष सिंह ने कहा कि सरकार की तरफ से जो भी सुझाव मिले हैं, आयोग उस पर साहनुभूति पूर्वक विचार करेगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राजनीतिक कारणों आयोग प्रभावित नहीं होता। उन्होंने कहा कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ का वित्तीय अनुशासन और स्थिति बेहतर है। यह राजस्व सरप्लस स्टेट है।

इसके बावजूद प्रति व्यक्ति आय में कमी और बीपीएल की अधिक संख्या चिंता का विषय है। राज्य के समझ चुनौतियों का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि राज्य का 40 फीसद हिस्सा वन क्षेत्र है। यहां आदिवासी आबादी अधिक है। नक्सलवाद और उसकी वजह से निजी उद्योगों को आकर्षित करना भी राज्य के लिए बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

आयोग के सदस्यों ने वन क्षेत्रों में लघुवनोपज से संबंधित उद्योगों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। कृषि के विकास पर आयोग के सदस्यों ने कहा कि यहां धान की कई किस्में हैं, सरकार को उसकी ब्रांडिंग करनी चाहिए, इससे किसानों की आय बढ़ेगी।

जीएसटी का मसला रखेंगे काउंसिल के सामने

जीएसटी में राज्यों को मिलने वाली गारंटी रिटर्न की समय सीमा बढ़ाए जाने की मांग पर आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि यह जीएसटी काउंसिल का मामला है। अन्य राज्यों ने भी ऐसी मांग की है। आयोग को मौका मिलेगा तो काउंसिल में यह बात रखी जाएगी।

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