जगदलपुर : बस्तर की अनेक भूगर्भीय गुफाओं में से एक, सुंदरता के मामले में अद्वितीय और प्राकृतिक तथा नैसर्गिक छटा से भरपूर कैलाश गुफा जो कि कांगेर घाटी क्षेत्र में राष्ट्रीय उद्यान में ही स्थित है। इस गुफा की सुंदरता को दिखाने के लिए वन विभाग ने पिछले 25 वर्षो में कोई प्रयास नहीं किया और कांगेर घाटी उद्यान के संचालकों द्वारा कोटमसर का ही महिमा मंडन किया।
उल्लेखनीय है कि कांगेर घाटी में स्थित इस कैलाश गुफा की खोज 25 वर्ष पहले की गई थी और खोज 25 वर्ष पूरे होने पर गुफा के नीचे गत शनिवार को कैलाश महोत्सव का आयोजन किया गया। इस संबंध में यह बड़ी ही विचित्र स्थिति है कि पर्यटकों को इस कैलाश गुफा तक लाने के लिये और इसकी सुंदरता दिखाने के लिये गंभीरता से कार्य नहीं किया गया। इसके साथ ही इस गुफा तक जाने के लिये पर्यटकों को कोई जानकारी भी अभी तक प्रदान की गई। जिसके कारण कुछ जानने वाले पर्यटक ही इस गुफा तक मार्ग की जोखिम उठाकर यहां तक पहुंच पाते हैं। इसके अलावा कैलाश गुफा के पास में कोई कर्मचारी भी जानकारी देने के लिये नियुक्त नहीं है। पर्यटकों को जो कि अत्यंत अल्प होते हैं इस गुफा में जाने के लिये अपने जोखिम से जाना होता है।
इस संबंध में यह स्मरणीय है कि कैलाश गुफा के भीतर का सौंदर्य अद्भूत है। जब गुफा खोजी गई थी तब प्रारंभिक स्तर पर गुफा के भीतर जाने के लिए पक्की सीडिय़ों सहित सोलर लाईट की व्यवस्था हुई थी। लेकिन देखरेख के अभाव में आज यह सब उपेक्षित और बेकार पड़ी हुई है। यह गुफा जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर है और जानकारी के अनुसार 250 मीटर लंबी तथा 40 से 50 मीटर गहरी है। इस गुफा में सटेलैक्टाइट व स्टेलेग्माइट से बनी प्राकृतिक पत्थर की संरचनाएं सपनों के लोक में ले जाती है।