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नईदिल्ली : मामा-मौसी के बेटों को सजा दिलाओ, करते थे गंदा काम

नई दिल्ली : आईआईटी स्टूडेंट ने अपने सूइसाइड नोट में अपने मामा के बेटे का नाम लिखा है। पुलिस जांच में पता चला है कि नोट में स्टूडेंट ने लिखा है कि मेरी अंतिम इच्छा है कि उसके मामा और मौसी के बेटों को सख्त से सख्त सजा दी जाए। अभी तक इस मामले में वसंत विहार पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है।
डीसीपी मिलिंद डुबड़े का कहना है कि स्टूडेंट के परिजनों ने उनसे एक-दो दिन का समय मांगा है, मामला परिवार के बीच ही है। हालांकि, दिल्ली पुलिस का कहना है कि वह अपनी ओर से कार्रवाई करेगी। इस मामले में चूंकि वारदात वेस्ट बंगाल में ही हुई थी इसलिए दिल्ली में जीरो एफआईआर दर्ज करके मामले को वहीं रेफर कर दिया जाएगा। आगे की जांच कोलकाता पुलिस करेगी।
सूत्रों का कहना है कि सूइसाइड नोट में स्टूडेंट ने छोटे भाइयों, भाभी और माता-पिता से माफी मांगते हुए लिखा है कि जब वह 11 साल का था, तब हुगली में मामा के लडक़े ने उसके साथ यौन शोषण किया था। इसके कुछ दिन बाद मौसी के लडक़े ने भी सोडोमी की थी। यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा।
जब वह दिल्ली आया, तब उसे पता लगा कि यह बहुत गंदा काम है। इससे वह लगातार डिप्रेशन का शिकार होने लगा। नोट में लिखा है कि ऐसी जिल्लत भरी जिंदगी से परेशान होकर ही मैं अपनी जीवनलीला समाप्त कर रहा हूं। इस मामले में यह भी पता लगा है कि वह पिछले साल जुलाई में दिल्ली आ गया था। इसके बाद उसके दोनों कजन फोन कर उसपर कोलकाता आने का दबाव बनाते रहते थे। वह बहुत ज्यादा डिप्रेशन का शिकार हो गया था।
पहले भी की थीं जान देने की कोशिशें
स्टूडेंट ने 10 अप्रैल को भी नींद की गोलियां खाकर जान देने का प्रयास किया था। जांच में पता लगा है कि स्टूडेंट ने इससे पहले भी 10वीं क्लास में सूइसाइड करने की कोशिश की थी।साउथ-वेस्ट दिल्ली के डीसीपी मिलिंद डूबड़े ने भी इस बात को कन्फर्म किया है। आईआईटी स्टूडेंट्स ने बताया कि वेस्ट बंगाल के हुगली में रहने वाले इस स्टूडेंट ने वहीं पर एक बार और सूइसाइड का प्रयास किया था। तब वह कामयाब नहीं हुआ था। इसी तरह से 10 अप्रैल की रात को भी नींद की गोलियां खाकर सूइसाइड करने का प्रयास किया। तब समय रहते उसे सफदरजंग हॉस्पिटल ले गए, जहां उसकी जान बच गई।
स्टूडेंटस ने बताया कि 10 अप्रैल को तो उसकी जान बच गई थी। हालांकि हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने के बाद हॉस्टल में वह सबसे दूर ही रह रहा था। शायद वह अंदर ही अंदर बहुत गलत महसूस कर रहा था। उस दिन भी उसने एक पेज का सूइसाइड नोट लिखा था। उसमें इन्हीं तमाम बातों का जिक्र किया था। अब गुरुवार रात को की गई आत्महत्या के बाद ऐसा ही एक सूइसाइड नोट सामने आया है।अस्पताल से हॉस्टल आने के बाद 12 अप्रैल की रात को उसके साथ रह रहे दो स्टूडेंटस में से एक दूसरे रूम में शिफ्ट हो गया था। एक लडक़ा वहां सो रहा था। पता चला है कि स्टूडेंट ने रूममेट को खुद ही दूसरे कमरे में जाने को कहा था। उनका कहना था कि यहां वह दवाइयों की बदबू में रहेगा। उसने यह भी कहा था कि वह लाइट बंद करके सोना चाहता है, ऐसे में उनकी पढ़ाई का भी नुकसान होगा। यह कहते हुए उसने रूममेट को दूसरे कमरे में भेज दिया था।
किसी को इस बात का अहसास नहीं था कि वह उसी रात अपनी जान दे देगा। अगले दिन शुक्रवार सुबह जब कमरे का दरवाजा बहुत देर तक नहीं खुला तो रूममेट ने गेट को खुलवाने की कोशिश की। अंदर से कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद जब खिडक़ी से देखा गया तो वह पंखे से हुआ मिला। इस बात का पता शुक्रवार सुबह 8:05 बजे लगा। तुरंत इस बारे में सिक्यॉरिटी को खबर दी गई और फिर पुलिस को बताया गया। पुलिस ने रमेश के शव का सफदरजंग हॉस्पिटल में पोस्टमॉर्टम कराकर शव परिजनों के हवाले कर दिया।

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