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उत्पाती हाथियों की बिना बाहरी एक्सपर्ट के की गई रेडियो कॉलरिंग

कोरबा, राज्य के वन विभाग द्वारा हाथियों में रेडियो कॉलरिंग के लिए सफलतापूर्वक चलाया गया यह प्रथम अभियान है। अतएव रेडियो कॉलरिंग किए गए इस हाथी को ‘प्रथम‘ नाम दिया गया है।

वन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ का वन विभाग एक के बाद एक निरंतर उपलब्धि हासिल कर रहा है। इसी तारतम्य में वन विभाग ने आज कोरबा जिले के कुदमुरा वन परिक्षेत्र के एक उत्पाती हाथी को बगैर बाहरी सहायता के कॉलर आई.डी. लगाने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है।

वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने पिछले दिनों वन विभाग के अधिकारियों को बाहरी एक्सपर्ट बुलाए बगैर अपने राज्य में उत्पाती हाथियों को रेडियो कॉलर आई.डी. लगाने का महत्वपूर्ण जिम्मा सौंपा था। वन विभाग ने उनके निर्देश का पूर्ण मनोयोग से पालन करते हुए आज ‘प्रथम‘ नामक हाथी को सफलतापूर्वक कालर आई.डी. लगाकर इसे पूरा कर दिखाया।

राज्य के वन विभाग द्वारा हाथियों में रेडियो कॉलरिंग के लिए सफलतापूर्वक चलाया गया यह प्रथम अभियान है। अतएव रेडियो कॉलरिंग किए गए इस हाथी को ‘प्रथम‘ नाम दिया गया है।

प्रथम नामक हाथी ने पूर्व में धरमजयगढ़ वन परिक्षेत्र में जन हानि पहुंचायी थी। इस कारण उस पर सतत् निगरानी रखने की आवश्यकता थी। वन विभाग अलग-अलग हाथियों को कालर आई.डी. लगाता है। इस कार्य के लिए केरल, कर्नाटक आदि राज्यों से एक्सपर्ट को बुलाया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में काफी राशि खर्च होती है।

इसे देखते हुए वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने पिछले दिनों बैठक में अधिकारियों को निर्देशित किया था कि वन विभाग बाहरी एक्सपर्ट बुलाए बगैर ही हाथियों को कालर आई.डी. लगाने का कार्य करें। कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण देश में चल रहे लॉकडाउन को देखते हुए देश के अन्य राज्यों से एक्सपर्ट को बुलाना संभव नहीं था।

हाथी के उत्पात को ध्यान में रखते हुए उसे कॉलर आई.डी. लगाना आवश्यक था। ऐसे हालात में वन मंत्री अकबर ने वन विभाग को इस बात के लिए प्रेरित किया कि बाहरी एक्सपर्ट के बगैर भी हाथी को कॉलर आई.डी. लगाने का कार्य किया जा सकता है। वन मंत्री द्वारा प्रेरित किए जाने पर वन विभाग का आत्मविश्वास बढ़ा तथा विभाग ने  अपने बूते हाथी को कॉलर आई.डी. लगाने का फैसला किया है। इसके लिए विशेष टीम का गठन कर सघन अभियान चलाया गया।
    

‘प्रथम‘ नामक हाथी धरमजयगढ़ वन मंडल से कोरबा कुदमुरा जंगल पहुंचा था। उसे आज सुबह पौने नौ बजे ‘कुमकी‘ हाथी तीरथराम की मदद से ट्रेंकूलाइज कर रेडियो कॉलर पहनाया गया। इस कार्य को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) अतुल शुक्ला, अतिरिक्त मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) अरूण पाण्डेय, मुख्य वन संरक्षक अनिल सोनी, मुख्य वन संरक्षक संजीता गुप्ता एवं वन परिक्षेत्राधिकारी गुरूनाथन की निगरानी में किया गया।

वेटनरी डॉक्टर राकेश वर्मा के निर्देशन में प्रथम हाथी को ट्रेंकूलाइज किया गया। वन मंत्री के निर्देश का पालन कर वन विभाग ने यह साबित कर दिया है कि वन विभाग भविष्य में भी हाथियों को कॉलर आई.डी. लगाने का कार्य बाहरी एक्सपर्ट को बुलाए बगैर कर सकता है।

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