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कंधार : अफीम की खेती करने में अफगानिस्तान सबसे आगे

कंधार : अफगानिस्तान में किसान सरकारी आदेशों की अवहेलना करते हुए अफीम की खेती कर रहे हैं और आजकल यहां इस फसल की कटाई का सीजन चल रहा है। अफीम से ही हेरोईन बनती है और पूरे विश्व में इसमें अफगानिस्तान का योगदान सबसे अधिक है।

आजकल यहां इस फसल की कटाई का सीजन चल रहा है

अफगानिस्तान में भ्रष्ट नौकरशाह,तस्कर और तालिबान आतंकवादी किसानों को अफीम की खेती के लिए प्रोत्साहित करते हैं और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अफगानिस्तान का अफीम की पैदावार में वार्षिक 9000 टन का योगदान है।
दक्षिण कंधार प्रांत में पिछले वर्ष दो एकड़ जमीन में अफीम की खेती करने वाले मोहम्म्द नादिर का कहना है अगर हम गेंहू या दूसरी फसल उगाए तो हमें इतनी कीमत नहीं मिलेगी जितनी अफीम की पैदावार से होती है। अब उसकी फसल पक चुकी है वह इसकी कटाई में मशगूल है।

अफगानिस्तान का अफीम की पैदावार में वार्षिक 9000 टन का योगदान है

हेलमांद प्रांत के बाद कंधार दूसरा बड़ा प्रांत है जहां अफीम की पैदावार बड़े पैमाने पर की जाती है । अफीम के पौधे में फूल आने के बाद यह पककर डोडे का रूप ले लेता है और इसके भीतर से गोंदनुमा पदार्थ एकत्र किया जाता है जिसका इस्तेमाल अफीम पावडर, हेरोंईन और अन्य मादक पदार्थ बनाने में किया जाता है।

कंधार दूसरा बड़ा प्रांत है जहां अफीम की पैदावार बड़े पैमाने पर की जाती है

नादिर का कहना है कि अगर वह गेंहू या दूसरी फसल पर ध्यान दे तो साल के अंत में उसकी आय एक हजार डालर से भी कम होगी लेकिन अफीम की खेती से वह साल में तीन हजार डालर से अधिक कमाई कर लेता है। लेकिन नादिर को इस मुनाफे को तालिबान के साथ बांटना पड़ता है क्योंकि तालिबान इस क्षेत्र में किसानों के अफीम खेतोंं की रक्षा करते हैं और अफीम की ब्रिकी के लिए घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तस्करों को भी ढूंढते हैं।

अफीम की खेती से वह साल में तीन हजार डालर से अधिक कमाई कर लेता है

अफगानिस्तान में तालिबान की आमदनी का एक बड़ा जरिया अफीम की पैदावार है लेकिन सरकार ने इसकी खेती पर प्रतिबंध लगाया हुआ है मगर किसान चोरी छिपे इसकी खेती करते हैं। अफगानिस्तान में वर्ष 2016 की तुलना में 2017 में अफीम की पैदावार में 87 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

इसकी खेती पर प्रतिबंध लगाया हुआ है मगर किसान चोरी छिपे इसकी खेती करते हैं

काबुल में कृषि मंत्रालय के प्रवक्ता अकबर रूस्तमी ने बताया कि सरकार ने पिछले वर्ष किसानों को गेंहू की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए दस हजार टन से अधिक बीज और 20 हजार टन यूरिया वितरित किया था लेकिन किसानों ने बीज तो सरकार से ले लिए मगर अपने खेतों में इनकी बुवाई नहीं की।

दस हजार टन से अधिक बीज और 20 हजार टन यूरिया वितरित किया था

उन्होंने बताया कि हम लगातार किसानों को अफीम की खेती करने को हतोत्साहित करते रहते हैं लेकिन वे सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाते हैं क्योंकि उन्हें अधिक धन कमाने की लालसा रहती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बदतर सुरक्षा हालात और इन प्रांतों में तालिबान का प्रभुत्व किसानों को अफीम की खेती के लिए मददगार है और पिछले वर्ष तीन हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक परती क्षेत्र में अफीम की बुवाई की गई थी। सरकार ने ऐसे किसानों और भ्रष्ट नौकरशाहों के खिलाफ 500 से अधिक मामले दर्ज कराए हैं।

पिछले वर्ष तीन हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक परती क्षेत्र में अफीम की बुवाई की गई थी

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के एक अधिकारी नजीबुल्लाह का कहना है कि किसानों को इस फसल की पैदावार से रोकने के लिए हमें एक विशेष टॉस्क फोर्स की आवश्यकता है और इन क्षेत्रो में फसलों के हवाई सर्वेक्षण के लिए हेलीकाप्टरों की बेहद जरूरत है।उधर किसानों का कहना है कि सरकार आय के अन्य बेहतर साधन प्रदान करने में विफल रही है और मजबूरन हमें इस फसल को अपने खेतों में उपजाना पड़ रहा है। सरकारी नौकरियां नहीं है तो ऐसे में यही रास्ता अपनाने को मजबूर हैं।

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